Happy Mother's Day 2024,12 May 2024, माँ पर कविता in hindi, संभव, शाम्भवी पाण्डेय
औरत जो कभी थकती नहीं
कभी बीबी तो कभी माँ के रूप में,
पर वह थक जाती है
बेबस बुढ़ापी के दौर में।
हौसले कम नहीं होते मगर
हिम्मत घट जाती है,
दो कदम जो चलना चाहे तो
माँसपेशियां ऐठ जाती है।
कभी वों भी जवां थी,
खूबसूरती बेसुमार थी,
चेहरे पर जिसके छाई
अलौकिक मुस्कान थी।
किरदार हो जो कोई भी
फिट थी वो हर रूप में,
छवि उभारू जिसकी मैं
देवी प्रतिमा के रूप में।
दर्द कितना भी सह लें
सब दिल में छुपाती है,
मगर आज चेहरे की झुर्रियां
हाल-ए-उर्म बयां कर जाती है।
आज भी वो हसती रहती है
तेरे मिस कॉल पर भी खुश होती है,
आशा है बस तेरे साथ की
तेरी मां तेरी इन्तजारी करती है ।।
-शाम्भवी पाण्डेय
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