बच्चों को पढ़ाने का आसान तरीका, Easy way to teach kids, संभव, शाम्भवी पाण्डेय

बच्चों को पढ़ाने का आसान तरीका, Easy way to teach kids, संभव,shambhav, शाम्भवी पाण्डेय


बच्चों को पढ़ाने का आसान तरीका


एक बार मैं अपनी बेटी को तीन अक्षर वाले शब्द पढ़ा रही थी। उसे कमल,कलम,नयन,शहद जैसी चीजों को दिखाकर समझा रही थी। फिर किताब में एक शब्द आया लहर। मैं उसे लहर के बारे में बता रही थी पर वह उसे इमेजिंन नहीं कर पा रही थी। फिर मैंने तुरंत उसे मोबाइल पर लहर का वीडियो दिखाया तो वह तुरंत समझ गई। जब मैं उसे घुमाने वाटर पार्क ले गई, वेब सेक्शन में लहर देखते ही वह बोलती है मम्मी-मम्मी यह देखो लहर आ रही है।


बचपन, बच्चे और उनका मनोविज्ञान की आज की श्रृंखला में हम छोटे बच्चे को पढ़ाने के आसान तरीके पर चर्चा करेंगे।

         किस प्रकार हम बच्चों की किताबों से दोस्ती कराएं? किस प्रकार उन्हें स्वयं से पढ़ने,अपने होमवर्क करने के लिए प्रेरित करें?

              
    बच्चों को आसान तरीके से कैसे बढ़ाएं,संभव, शाम्भवी पाण्डेय


    आज के समय में बच्चों को कुछ सिखाना इतना भी कठिन कार्य नहीं है क्योंकि आज के इस कंप्यूटर के आधुनिक युग में बच्चों की तीव्र गति से सीखने की क्षमता भी विकसित हुई है।


    बच्चे अपने माता-पिता को या आसपास जो चीजें देखते हैं या जो कार्य घटित होते देखते हैं तो उन्हें बहुत जल्दी सीख जाते हैं,उसे रिपीट करने की कोशिश भी करते हैं।

    ऐसे में बच्चों को कोई नई चीज सिखाना बहुत आसान हो गया।


    लेकिन जब बात पढ़ाई की हो तो पता नहीं बच्चे क्यों मुंह घुमा लेते हैं या फिर उन्हें यह कहते सुना जाता है कि मुझे पढ़ाई अच्छी नहीं लगती।


    तो आइए जानते हैं कि बच्चों की किताब से दोस्ती कैसे कराएं?

     कैसे बच्चों में पढ़ाई के लिए इंटरेस्ट जगाए?


    छोटे बच्चे को पढ़ाने का आसान तरीका:


    छोटे बच्चे का फुल डे का काम सिर्फ खेलकूद होता है। जब उन्हें हम पढ़ाना शुरू करते हैं तो शुरू- शुरू में बच्चे उसे बहुत इंटरेस्ट से सीखते हैं,फिर धीरे-धीरे जब उनका खेल का समय पढ़ाई में लगने लगता है और बच्चों को होमवर्क करना, होमवर्क को याद करने का प्रेशर होता है तो इन्हीं कारणों से बच्चों का पढ़ाई में मन कम लगने लगता है।


    तो आइए जानते हैं छोटे बच्चों को पढ़ाने का आसान तरीका क्या है?


    • बच्चों के मनोभाव को समझें:


    छोटे बच्चों को पढ़ाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि बच्चों के मनोभाव को समझकर उन्हें पढ़ाया जाए।


    जैसे कभी-कभी देखा जाता है कि बच्चों का मन किसी खेल या टीवी में लगा रहता है, उस समय आप चाहे जितना कहिये उनका मन पढ़ने में नहीं लगता और फिर वही पढ़ाई उन्हें बोझ लगने लगती है।


    इसके लिए जब बच्चे का मन खेल में लगा हो तो उस समय उसे खेलने दें, उसके बाद पढ़ाएं। इस प्रकार बच्चों के मनोभाव को समझ कर उनके अनुरूप उन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित करें।


    • सोने से पहले कहानी की तरह रिवीजन कराएं:


    कभी-कभी बच्चे सोने के समय भी पढ़ाई से जुड़ी बातें करते हैं। वह समय सबसे बेस्ट टाइम होता है उन्हें कुछ सिखाने का।

    इसके लिए आप दिन भर में जो भी अपने बच्चों को पढ़ा रही हैं एक बार उसे एक कहानी की तरह रिवीजन कराएं। उस टाइम बच्चे जो सुनते हैं उसे बहुत ही जल्दी कैच करते हैं।


    • खेल से करें शुरुआत:


    बच्चों को खेलना बहुत पसंद होता है तो बच्चों की पढ़ाई को खेल से जोड़ते हुए अगर उन्हें सिखाया जाए तो बच्चे उस चीज को बहुत जल्दी सीख जाते हैं।


    व्यवहारिक रुप से दिखाकर सिखाएं:


    बच्चों को जो चीज सिखाना है सबसे पहले उसकी इमेज बच्चों के दिमाग में सेट करना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि बच्चों को चीजें व्यवहारिक रुप से दिखाकर उन्हें सिखाया जाए। practically देखकर बच्चे बहुत जल्दी सीख जाते हैं।


    • सुनिश्चित समय:


    बच्चों को पढ़ने, टीवी देखने,खेलकूद, हर मूवमेंट का समय पहले से निश्चित करना चाहिए।

    जैसे बच्चे को सिखाएं कि पहले आप अपने तय समय के अनुसार कितनी देर पढ़ो, होमवर्क करो, फिर टीवी देखना या खेलना।

    बच्चों को घड़ी की सुई से समझा कर निश्चित समय के लिए बताइए, इससे बच्चों की आदत बनने लगती है कि उन्हें इतनी देर पढ़ने के बाद खेलने मिलेगा तो बच्चे उतनी देर मन लगाकर पढ़ते हैं।


    • बच्चों के प्रश्नों के उत्तर जरूर दें:


    बच्चों की प्रश्न करने की बहुत आदत होती है। प्रत्येक कार्य में वह क्या है, कैसे,पूछते ही रहते हैं। यह उनकी सीखने की जिज्ञासा को व्यक्त करता है।


    इसलिए बच्चों के प्रश्नों के उत्तर तर्क के साथ जरूर दें। इससे बच्चों की बौद्धिक क्षमता का विकास भी होता है।


    • स्वयं भी किताबें पढ़ें:


    बच्चों की किताब से दोस्ती कैसे कराएं ?


    जिस प्रकार जब घर का प्रत्येक सदस्य मोबाइल देखता है तो हम देखते हैं कि बच्चे भी मोबाइल देखने के लिए परेशान रहते हैं। ठीक उसी प्रकार जब हम स्वयं की किताबें लेकर पढ़ते हैं तो बच्चे भी देखा देखी किताबें पढ़ने लगते हैं।

    बच्चों की किताबों से दोस्ती कराने का यह सबसे अच्छा तरीका है कि बच्चों के साथ हम स्वयं भी कुछ देर किताबें जरूर पढ़ें।


    • पढ़ाते समय गुस्से पर नियंत्रण करें:


    बच्चों को पढ़ाते समय गुस्से पर नियंत्रण किस प्रकार करें ?


    बच्चों को पढ़ाते समय जब बच्चे कई बार एक ही चीज को बार-बार पूछते हैं या फिर पढ़ने में मन ना लगा कर इधर-उधर की बातें करते हैं, उस समय बच्चों पर गुस्सा आना स्वाभाविक है।


    लेकिन उस समय स्वयं पर नियंत्रण करना बहुत जरूरी है क्योंकि जो बातें हम बच्चों को पढ़ा रहे हैं वह हमारे आपके लिए तो बहुत इजी है लेकिन वह सब बच्चों के लिए फस्ट टाइम है उन्हें किताबों की नई-नई बातें समझने में थोड़ा सा समय तो लगता ही है।


    इसलिए बच्चों को पढ़ाते समय गुस्से पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी है।

    जब बच्चे पढ़ते समय इधर-उधर की बातें करें तो पहले आप भी उस में इंटरेस्ट दिखाएं, फिर बच्चे को पढ़ाई पर केंद्रित होने को कहें। इससे बच्चों के भटकते मन जल्दी ही स्थिर हो जाते हैं। लेकिन अगर उन्हें सीधे रोका-टोका जाता है तो उनका मन एकाग्र ना होकर इधर-उधर भागता है।



    उपरोक्त में बताए गए सभी बिंदुओं से अपने बच्चों को पढ़ाने पर उनका मन पढ़ाई में लगाने, किताबों से उनकी दोस्ती कराने, अपने होमवर्क के प्रति उन्हें स्वयं से सजग रहने के लिए काफी सहयोगी साबित हो सकता है।

    यहां पढ़ें - क्यों जरूरी है बच्चों पर माता - पिता की पैनी नज़र ?


    एक टिप्पणी भेजें

    1 टिप्पणियाँ

    कृपया अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें। जिससे हम लेख की गुणवत्ता बढ़ा सकें।
    धन्यवाद