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Motivational story:
दीपक जल रहा था, उसमें पड़ा घी खत्म होने को आया । लौ क्षीण हो चली। वायु के झोंकों ने देखा कि अब दीपक पर विजय पाना आसान है, तो वह धीमे-धीमे मिलकर तेज आक्रमण करने लगे। अंधकार नीचे दबा पड़ा था। यह स्थिति देखकर वह (अंधकार) बोला - "दीपक अब तो तुम्हारा अंत आ गया है। अब कुछ ही देर में यहां मेरा साम्राज्य स्थापित हो जाएगा।"
दीपक मुस्कुराया और बोला- "यह देखना विधाता का काम है कि किसका साम्राज्य होगा। मेरा कर्तव्य है - प्रकाश बिखेरने के लिए निरंतर जलते रहना, तो अंत समय तक मैं अपने कर्म से विमुख क्यों होऊ।"
इसके थोड़ी देर बाद अंतिम क्षण आया तो दीपक ने अपनी सारी शक्तियों को बटोरकर इतना प्रकाश कर दिया कि वहां का संपूर्ण अंधकार सिमट कर रह गया। परंतु दीपक का यह बलिदान व्यर्थ नहीं गया, क्योंकि अगले ही क्षण में सूर्योदय की लालिमा वातावरण में छाने लगी थी।
Motivational quotes:
प्रकाश के पथ पर अकेले आगे बढ़ने वाले चाहे कितने भी हारते क्यों न लगें, ईश्वरीय संरक्षण सदा उन्हें विजय का श्रेय दिलाता है एवं अनगिनत विभूतियों का अधिकारी भी बनाता है।
Motivational speech in hindi:
जब तक आप दूसरों पर आश्रित रहते हैं या समझते हैं कि हमारे कष्टों को कोई और दूर करेगा, तब तक बहुत बड़े भ्रम में हैं। जो उलझने या कष्ट हमारे सामने हैं, उनका दुखदाई रूप हमारी अपनी त्रुटियों के कारण है । उन त्रुटियों को दूर करके हम स्वयं अपनी उलझनों को सुलझा सकते हैं।
संसार में सफलता प्राप्त करने की आकांक्षा के साथ ही अपनी योग्यता में वृद्धि करना भी आरंभ कीजिए । आपका भाग्य किस प्रकार लिखा जाए, इसका निर्णय करते समय विधाता आपकी आंतरिक योग्यताओं की परख करता रहता है ।
उन्नति करने वाले गुणों को अधिक मात्रा में जमा कर लिया गया है, तो भाग्य में उन्नति का लेख लिखा जाएगा और यदि दुर्गुणों को विकसित करते हैं, तो भाग्य की लिपि दूसरी होगी।
यदि आप आत्मनिर्भर हो जाएँ, जैसा होना चाहते हैं उसके अनुरूप अपनी योग्यताएं बनाने में प्रवृत्त हो जाऍ और आत्मविश्वास के साथ सुयोग्य मार्ग की तलाश करें, तो विधाता को विवश होकर आपकी मनमर्जी का भाग्य लिखना पड़ेगा आपको आपकी मंजिल तक पहुंचाना ही होगा।
साभार
- पं० श्रीराम शर्मा आचार्य
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