बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लगता है जाने इसका कारण,संभव,शाम्भवी पाण्डेय
पहले का समय था जब बच्चे स्कूल जाने के नाम से रोने लगते थे लेकिन आधुनिक युग में स्कूलों के मॉडल लुक एवं विभिन्न प्रकार की स्मार्ट एक्टिविटी के कारण बच्चे स्वयं से स्कूल जाने के लिए तैयार रहते हैं ।
स्कूलों में बच्चों को जहां एक तरफ डिफरेंट टाइप के गेम और झूले आकर्षित करते हैं वहीं दूसरी तरफ पढ़ाई कराने के स्मार्ट क्लास के तरीकों से बच्चों का पढ़ाई के प्रति आकर्षण बढ़ गया है ।
फिर भी कई बार ऐसा देखा गया है कि कुछ बच्चों का मन पढ़ने में नहीं लगता, उन्हें स्कूल जाना पसंद नहीं आता या फिर स्कूल तो चले जाते हैं लेकिन होमवर्क करने के नाम पर उनमें एक अरुचि सी दिखती है ।
बचपन,बच्चे और उनका मनोविज्ञान की आज की श्रृंखला में हम जानेंगे कि बच्चों का मन पढ़ाई में ना लगने का क्या कारण है ?
तो सबसे पहले हमें यहां यह जानना जरूरी है कि आखिर वह कौन से कारण है जिसके कारण हमारे बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लगता ।
बच्चों का पढ़ाई में मन ना लगने का कारण
कई बार कई ऐसे अनदेखे या अनसमझे से कारण होते हैं जिसके कारण बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लग पाता जैसे
खेल का समय अपर्याप्त होना ।
किसी विशेष विषय में अरुचि होना ।
क्या पढ़ाया जा रहा है यह समझ में ही ना आना ।
घर के प्रत्येक सदस्य जब सोशल मीडिया से जुड़े रहते हैं तो बच्चों का भी सोशल मीडिया के प्रति आकर्षण बढ़ जाता है ।
कभी-कभी बच्चे देखते हैं कि दूसरा बच्चा भी होमवर्क कंप्लीट नहीं करता है तो वह भी ऐसा करके देखना चाहते हैं या अपने काम को टालना चाहते हैं ।
कंसंट्रेशन ना होने के कारण अपने से होमवर्क समय से कंप्लीट ना होने पर भी बच्चे पढ़ने से चिढ़ जाते हैं ।
लर्निंग कैपेसिटी से जुड़ी प्रॉब्लम्स से जूझ रहे बच्चे, जिसमें अक्षर ज्ञान (अक्षर पहचानने की) की समस्या होती है ।
उपरोक्त में वर्णित या अन्य और ऐसे कोई कारण जो आपके बच्चे के दिमाग पर नकारात्मक असर डालते हैं, बच्चों में पढ़ाई के प्रति अरुचि या भय उत्पन्न करते हैं, जिससे बच्चों का मन पढ़ाई से भागता है ।
इसके लिए जरूरी है उन कारणों की पहचान करें और फिर उस समस्या को दूर करने का प्रयास करें ।
तब हम देखेंगे कि हमारा बच्चा जो हमेशा पढ़ाई से दूर भागता रहता था अब वह पढ़ाई के लिए स्वयं सचेत है वा प्रोग्रेसिव भी है ।
शाम्भवी पाण्डेय
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