3 नए आपराधिक कानून क्या है (क्या हैं 3 नए क्रिमिनल लॉ बिल?),संभव,शाम्भवी पाण्डेय
2001 में,सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में निचली अदालतों को फैसला सुनाने के लिए 6 माह से लेकर दो माह तक की समय सीमा तय की थी लेकिन इस समय सीमा का पालन बहुत कम मामला में ही हो रहा था ।
पहले अदालतें कई मामलों में सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लेती थी और कई मामलों में वर्षों तक फैसला नहीं सुनाया जाता था लेकिन अब अदालते मामलों की सुनवाई पूरी होने के बाद लंबे समय तक फैसला सुरक्षित नहीं रख पाएंगे।
नए नागरिक सुरक्षा संहिता में आपराधिक ट्रायल में 30 से 45 दिन में फैसला सुनाने की समय सीमा तय की गई है। नए कानून में पीड़ितों के अधिकारों की रक्षा और उनका समय से न्याय सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है।
नए आपराधिक कानून क्या है :
भारतीय न्याय प्रणाली को दुनिया की सबसे आधुनिक न्याय प्राणी बनाने के लिए आपराधिक कानून से जुड़े तीन विधेयक पारित कर उन्हें पुराने कानूनों की जगह नए आपराधिक कानून की जगह दिया गया है -
भारतीय साक्ष्य संहिता (BSS)
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNNS)
भारतीय न्याय संहिता (BNS)
क्या हैं 3 नए क्रिमिनल लॉ बिल?
आइए जाने क्या हैं 3 नए क्रिमिनल लॉ बिल? ( नए आपराधिक कानून क्या है )
भारतीय दंड संहिता (IPC): इसे अब भारतीय न्याय संहिता (BNS) कहा जाएगा। IPC में 511 धाराएं थीं, जबकि BNS में 358 धाराएं होंगी।
दण्ड प्रक्रिया संहिता (CRPC): इसे अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNNS) कहा जाएगा। CRPC में 484 धाराएं थीं, जबकि BNNS में 531 धाराएं होंगी।
इंडियन एविडेंस एक्ट (IEA): इसे अब भारतीय साक्ष्य संहिता (BSS) कहा जाएगा। IEA में पहले 167 धाराएं थीं, जबकि BSS में 170 धाराएं होंगी।
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