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“होली का इंतजार”
सुनो पापा पिचकारी ला दो
रंग गुलाल ढेर सारे ला दो
मैं होली खेले जाऊंगा
दोस्तों को रंग लगाऊंगा
कोरे दिखते हैं जो लोग कोई
हर राही को भिगाऊँगा ।
लेकिन रंग सारे आज ही ला दो
लेकिन रंग सारे आज ही ला दो
कुछ स्कूल बैग में पैक करा दो
कल स्कूल जरूर मैं जाऊंगा
वहां सब को रंग लगाऊंगा
होली से भी पहले स्कूल की होली
मैं खेलना जरूर चाहूंगा ।
सुनो मम्मी तुम गुझिया बना लो ...
सुनो मम्मी तुम गुझिया बना लो
संग मटरी नमकपारा बना लो
खूब मजे से खाऊंगा
मित्रों को संग खिलाऊंगा
मुझको भातें हैं यह चीज सभी
जीवन की मौज उड़ाऊंगा ।
लेकिन भैया एक बात बता दो
समझ ना आए वो बात समझा दो
जब सबको रंग लगाऊंगा
तब खुद को कैसे बचाऊंगा
रंगों से है मुझे प्यार बहुत
होली का इंतजार कैसे कर पाऊंगा ।।
होली का इंतजार कैसे कर पाऊंगा ।।
- शाम्भवी पाण्डेय
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