स्वामी विवेकानंद - विचार की शक्ति |संभव,शाम्भवी पाण्डेय

स्वामी विवेकानंद - विचार की शक्ति ,संभव,शाम्भवी पाण्डेय

स्वामी विवेकानंद ने कहा था-

स्वर्ग और नरक कहीं अन्यत्र नहीं, इनका निवास हमारे विचारों में ही है।

               
स्वामी विवेकानन्द


विचारों का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। जीवन में सुख-दुख, लाभ-हानि, सफलता- असफलता सभी कुछ हमारे विचारों पर निर्भर करते हैं, जैसा विचार रखते हैं वैसा हमारा जीवन बनता है।


व्यक्तित्व संसार की सबसे खूबसूरत एवं शक्तिशाली चीज है। बौद्धिक, व्यवहारिक, भावनात्मक और आत्मिक इसकी आंतरिक शक्तियां हैं। सफलता का लाभ हमें तभी मिलता है जब हम इन सभी के उपयोग करने की तकनीक जानते हो।


स्वामी रामतीर्थ ने कहा था- 

“मनुष्य के जैसे विचार होते हैं वैसा ही उसका जीवन बनता है।”


व्यक्तित्व बनता है विचार ,व्यवहार और भाव से।


संसार में जीने के लिए व्यवहार करना आना चाहिए। मनुष्य का जीवन उसके विचारों का प्रतिबिंब होता है। जैसा हम विचार करेंगे,जैसा हम एक-दूसरे के लिए भाव रखेंगे,वैसा ही व्यवहार बनेगा ।


शेक्सपियर ने अपनी किताब में लिखा है- 

कोई वस्तु अच्छी या बुरी नहीं है,अच्छाई-बुराई का आधार हमारे विचार ही है ।


संसार एक शीशे के समान है इस पर हमारे विचारों की जैसी छाया पड़ेगी वैसा ही प्रतिबिंब हमें दिखाई देगा।

विचारों में एक प्रकार की शक्ति होती है, बुद्धि उसका आकार प्रकार निर्धारित करती है और आत्मा उसमें चेतन होती है।



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