बच्चों के पॉटी के कलर से कैसे जाने उनका स्वास्थ्य?
बचपन,बच्चे और उनका मनोविज्ञान श्रृंखला के अंतर्गत यह सभी लेख लिखे जा रहे हैं | आज का लेख विशेषकर बच्चे की पॉटी और पॉटी से जुड़ी समस्यायों से संबंधित है |
बच्चों से जुड़ी पॉटी की क्या समस्या है ? बच्चों के पॉटी के कलर से कैसे जाने उनका स्वास्थ्य ?
नवजात शिशु के भोजन का मुख्य आधार है मां का दूध या फार्मूला दूध | छोटे बच्चों का पाचन तंत्र नव विकसित होता है; और वह धीरे-धीरे पाचन प्रक्रिया को एक्सेप्ट करता है इसलिए नवजात शिशु की पॉटी करने का कोई फिक्स रूटीन नहीं होता है | कभी-कभी बच्चे एक दिन में कई बार 5 से 10 से भी अधिक पॉटी करते हैं तो कई बार ऐसा भी हो सकता है कि बच्चे को एक या दो दिन बाद पॉटी हो|
इसके अलावा उनकी पॉटी में भी विविधता देखी जाती है | कभी हरी, कभी पीली, कभी काली जिसका अलग-अलग कारण होता है | जन्म के एक हफ्ते या कुछ दिन बच्चे को काली पॉटी होती है यह सामान्य बात है | फिर बच्चे की पॉटी का कलर पीला होने लगता है, बच्चे की पीली पॉटी उसके स्वास्थ्य पाचन की प्रतीक है | लेकिन अगर बच्चे को हरी पॉटी हो रही है तो माना जाता है कि बच्चे के पेट में किसी प्रकार का इंफेक्शन है ऐसे में तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक है |
हर मां की यह जिम्मेदारी है कि वह बच्चे की पॉटी की रूटीन और पॉटी की कलर पर विशेष ध्यान रखें, क्योंकि इतना छोटा बच्चा अपने स्वास्थ्य के बारे में कुछ भी अभिव्यक्त नहीं कर सकता है और डॉक्टर से सलाह लेने पर भी डॉक्टर यही प्रश्न करते हैं कि बच्चे की पॉटी का कलर क्या है इसलिए ऐसे में हम उनकी पॉटी से ही उनके स्वास्थ्य के बारे में समझ सकते हैं |
बच्चे की टाइट पॉटी की समस्या से निदान कैसे पायें ?
कभी-कभी बच्चों में टाइट पॉटी होने की समस्या देखी जाती है | ऐसे में बच्चों की टाइट पॉटी समस्या से निदान पाने के लिए उनके आहार को सुनिश्चित करना आवश्यक है | यदि बच्चा 6 माह से अधिक है तो बच्चे के आहार में फाइबर युक्त आहार का प्रयोग करना चाहिए | जैसे हरी सब्जियां , फल , रोटी आदि, साथ ही तरल पदार्थ जैसे दाल का जूस वेजिटेबल सूप , फ्रूट जूस और सबसे महत्वपूर्ण पानी की मात्रा बढ़ाना चाहिए | साथ ही शिशु के पेट पर हल्की हल्की मालिश करने से भी फायदा होता है |
यदि शिशु 6 माह के अंदर का है, ऐसे में टाइट पॉटी होना इस बात का संकेत हो सकता है कि बच्चा स्तनपान कम कर रहा है | ऐसे में शिशु को पहले से अधिक स्तनपान कराना चाहिए | इसके साथ ही बच्चों के पैर की एक्सरसाइज साइकिल चलाने की तरह कराएं यह काफी मददगार होता है | घरेलू नुक्से में बच्चों को टाइट पॉटी की समस्या से निदान दिलाने में तेल भी मददगार हो सकता है | शिशु के गुदा के रास्ते पर हल्का तेल जिससे आप शिशु की मालिश करती हैं या हल्का गर्म करके ठंडा किया हुआ सरसों का तेल लगाने से शिशु के आराम से पॉटी होने में यह सहायक है |
बच्चों की पॉटी में गंध, झाग ,बलगम या खून का आना
जब तक शिशु मां के दूध या फार्मूला दूध पर निर्भर होता है तो माना जाता है कि बच्चे की पॉटी में गंध नहीं आती है पर यदि ऐसा होता है तो यह शिशु के अस्वस्थ पाचन का प्रतीक हो सकता है यह हो सकता है कि शिशु के पेट में किसी प्रकार का इंफेक्शन हो गया हो |
इसके साथ ही शिशु के पॉटी में झाग, बलगम, खून आने जैसी समस्याएं चिंता का विषय होती है | ऐसे में बिना विलंब किए तुरंत ही चिकित्सीय परामर्श लेना अति आवश्यक होता है|
बचपन, बच्चे और मनोविज्ञान श्रृंखला के अन्य लेख -
अन्य सम्बंधित लेख पढ़ें
1-बचपन, बच्चे और उनका मनोविज्ञान
2-नवजात शिशु की देखभाल कैसे करें ?
3-जन्म से 6 माह तक के बच्चे की भाव भंगिमा, एक्टिविटीज कैसे समझें ?
4-बच्चों को कैसे अच्छी नींद सुलाएं ?
5-बच्चों के पॉटी के कलर से कैसे जाने उनका स्वास्थ्य ?
6-बदलते मौसम में शिशु की देखभाल कैसे करें?
इस लेख को पढ़ने और हमारा मनोबल बढ़ाने के लिए आप सभी को धन्यवाद । आप सभी इस लेख के बारे में अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें, साथ ही यह भी बताएं बच्चों से संबंधित वह कौन सा विषय है जिस पर हम अपने लेख में चर्चा करें और वह हम सभी के लिए लाभकारी हो।
-धन्यवाद
0 टिप्पणियाँ
कृपया अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें। जिससे हम लेख की गुणवत्ता बढ़ा सकें।
धन्यवाद