श्री कृष्ण के 10 उपदेश जो आज भी है प्रासंगिक, श्री कृष्ण के उपदेश इन हिंदी, श्री कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश,भगवान श्रीकृष्ण के उपदेश में छुपे मैनेजमेंट के सूत्र,गीता का ज्ञान इन हिंदी, महाभारत श्री कृष्ण के उपदेश |10 teachings of Lord Shri Krishna, which are relevant even today, श्रीकृष्णा जन्माष्टमी 2023
हिंदू धर्म में,अलग-अलग युगों और विभिन्न रूपों में, भगवान अवतरित हुए,जिन्होंने अपने विभिन्न रूपों में कई लीलाएं की और भक्तों के लिए प्रेरणा स्रोत स्थापित किया। इस अवतारित लीला में भगवान श्रीकृष्ण का अपना विशेष महत्व है।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार,कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार भाद्रपद में कृष्ण पक्ष के आठवें दिन मनाया जाता है।
भगवान श्रीकृष्ण के उपदेश में छुपे मैनेजमेंट के सूत्र
युद्ध के समय भगवान श्रीकृष्ण के अर्जुन को दिए उपदेश गीता में संकलित है. गीता में दिया ज्ञान अर्जुन के साथ ही सभी को एक मार्गदर्शन देते है | वही दूसरी तरफ
आज के युग में भी प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन की दशा और दिशा व्यवस्थित करने के साथ ही मैनेजमेंट के lession सिखाते हैं |
1 - समानता का भाव ,एवं कभी हार ना मानना
भगवान श्रीकृष्ण एक राजकीय परिवार से जुड़े होने के बावजूद भी गोकुल में सर्व सामान्य की भांति रहे और अपनी लीला करते रहे। भगवान हमें कभी हार ना मानने वाला संदेश अपने कार्यों से देते रहे हैं।
पूरे महाभारत युद्ध में जहां एक तरफ वे अपने उपदेश के माध्यम से अर्जुन का मार्गदर्शन करते हैं,वहीं सभी समस्याओं का समाधान भी प्रस्तुत करते हैं।
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2-प्रबंधन कला
भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा महाभारत में गीता में दिए गए उपदेश प्रबंधन के लिए विशेष सूत्र प्रदान करते हैं। जिसकी आज के समय मे उपयोगिता सफलता प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करती है।
निर्णय लेने की कला, मार्गदर्शक की महत्वता ,सभी को जोड़कर रखना एवं महत्व देना, निष्काम कर्म की प्रेरणा ,निडरता और विश्वास आदि आज भी प्रबंधन के महत्व पूर्ण सूत्र माने जाते है |
3-निर्णय लेने की कला
Feelings are temporary,never take decision on feelings"
निर्णय लेने के लिए भावुकता, सुख-दुख की स्थिति से बाहर निकलना अनिवार्य है। युद्ध के प्रारंभ में अर्जुन द्वारा भावुकता में युद्ध से विरक्ति प्रदर्शित किया गया |
तब भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को गीता का उपदेश देते हैं और बताते हैं कि कोई भी डिसीजन बौद्धिकता के आधार पर ही लिया जाना चाहिए भावुकता के आधार पर लिया गया निर्णय हमको उचित निर्णय लेने में बाधित करता है |
अर्जुन भी भावना से जब बाहर निकले तभी वह युद्ध करने का निर्णय ले पाते हैं।
आज भी निर्णय लेने के लिए जा एक महत्वपूर्ण सूत्र है|
4 - मार्गदर्शक की महत्वता
जीवन में पथ प्रदर्शक की विशेष भूमिका होती है। महाभारत में एक कथा आती है कि भगवान कृष्ण के पास अर्जुन,दुर्योधन दोनों आशीर्वाद लेने आते हैं,
श्रीकृष्ण ने उनके सम्मुख दो प्रस्ताव रखे-
(1)मेरी नारायणी सेना ले सकते हो या
(2)मैं स्वयं रहूंगा ,लेकिन मैं अस्त्र का प्रयोग नहीं करूंगा
दुर्योधन ने सेना लेने का निर्णय किया लेकिन अर्जुन ने मार्गदर्शक,पथ-प्रदर्शक,सारथी के रूप में श्रीकृष्ण को चुना ; क्योंकि अर्जुन जानते थे कि युद्ध में रणनीति, मार्गदर्शन की महत्ता सेना से कहीं ज्यादा होती है। इसीलिए आज भी अच्छा शिक्षक प्राप्त करना विशेष महत्व रखता है।आज भी हम देखते हैं कि
ऐसे संगठन जिनके प्रबंधक श्रेष्ठ हैं, प्रतिभाशाली हैं , वह ऊंचाइयों पर अवश्य ही पहुंचते हैं ; जिसमें टाटा संगठन के रतन टाटा ,इंफोसिस के नारायण मूर्ति एवं विप्रो के अजीज प्रेम जी आदि प्रमुख हैं | हमारे देश में इसी कारण शिक्षक को विशेष महत्व दिया गया है|
5-सभी को जोड़कर रखना एवं महत्व देना
भगवान श्रीकृष्ण सभी को जोड़कर रखते थे और सभी को महत्व देते थे।
नकुल एवं सहदेव युधिष्ठिर के छोटे भाई थे। नकुल मेडिसिन में और सहदेव एस्ट्रोलॉजी में पारंगत थे। दोनों ने ही परदे के पीछे से युद्ध में विशेष योगदान दिया, जिसके बिना सफलता की कल्पना करना शायद संभव नहीं था।
आज भी सभी को साथ में रखना सफलता प्राप्ति एवं प्रबंधन का विशेष सूत्र माना जाता है।
आज भी सभी को साथ में रखना सफलता प्राप्ति एवं प्रबंधन का विशेष सूत्र माना जाता है।
6-निष्काम कर्म की प्रेरणा
कर्म की निरंतरता सफलता प्राप्ति का ही मार्ग है। लेकिन केवल फल की इच्छा हममें एक निराशा का भाव उत्पन्न कर सकती है, जैसे स्वस्थ रहने के लिए लगातार एक्सरसाइज करने से स्वतः ही रिजल्ट प्राप्त होता है।
आज के समय के प्रसिद्ध लेखक जेम्स क्लियर ने अपनी फेमस बुक 'एटॉमिक हैबिट्स' में धीरे-धीरे निरंतर कार्य करने विशेष प्रभाव उत्पन्न होने की बात कही है |लेकिन ध्यान देने की बात यह है की यही बात हमारे भगवान श्री कृष्ण ने 5000 साल पूर्व ही अपने उपदेश में दिया था। और कहते हैं कि
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
7-निडरता और विश्वास
प्रत्येक कार्य की पूर्णता प्राप्त करने का आधार निडरता और विश्वास होता है।
फल की इच्छा के बिना निरंतर कर्म करते रहना, सफलता के मार्ग को प्रशस्त करता है।
8-सामाजिक कुरीतियों का विरोध
इसके साथ ही भगवान ने समाज में व्याप्त कुरीतियों के विरोध को महत्व दिया ,जिसमें सामाजिक सद्भाव का विकास करना जिसके तहत
अपने बाल रूप में भगवान श्री कृष्ण का माखन के बहाने सभी से जुड़ाव महसूस करना एक राजकीय परिवार का होने के बावजूद अन्य ग्वाल वालों के साथ गाय चराना उनके साथ खेलना प्रमुख है | भगवान श्री कृष्ण निस्वार्थ प्रेम की स्वीकार्यता को समाज में स्थापित किया और इसके माध्यम से महिलाओं के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण में भी सुधार का हमें आज भी संदेश देते हैं |
भगवान श्री कृष्ण जब द्वारिका नरेश है तब
आपने दरिद्र मित्र सुदामा को के आने का समाचार सुनकर द्रवित हो ना उनसे मिलकर उनके कष्टों को जानना आज भी मित्रता की परिभाषा को एक नई ऊंचाई देता है ||
9- साधन से ज्यादा साध्य की महत्ता पर बल
भगवान श्रीकृष्ण प्रथम ऐसे अवतारित देवता हुए जो साधन से ज्यादा साध्य को महत्व देते थे। उनका मानना था कि
किसी सफलता को पाने के लिए साम-दाम-दंड-भेद किसी भी प्रकार की कूटनीति का प्रयोग करना उचित है।
10-सामाजिक सरोकार का सन्देश
भगवान श्री कृष्ण हम लोगों को सामाजिक सरोकार ,आपसी सहयोग का भी एक संदेश देते हैं| गोवर्धन पर्वत को उठाने की घटना इसी प्रसंग से जुड़ी हुई है|
जब भगवान इंद्र रुष्ट होकर वर्षा के जल के माध्यम से तबाही मचाते हैं तो उस समय भगवान श्री कृष्ण सभी ग्रामीणों को लेकर गोवर्धन पर्वत को उठाते हैं ,और सभी से उनकी मदद करने के लिए लाठी लगाकर सहयोग देने हेतु प्रेरित करते हैं|
यह घटना हमें संदेश देती है कि किसी भी आता-ताई का विरोध , गलत व्यक्ति का विरोध सामाजिक सरोकार और आपसी एकता से ही संभव है
श्री कृष्ण के उपदेश शिक्षाएं और गीता का ज्ञान पढ़ें।
गीता के उपदेश का विशेष महत्व है जिसकी आज के युग में प्रासंगिकता देखने को मिलती है | इसमे मैनेजमेंट के सूत्र छिपे हैं |
आइए हम सब मिलकर जन्माष्टमी का यह महापर्व मनाए और भगवान श्रीकृष्ण के उपदेश को अपने जीवन में अपना कर उन्नति की ओर बढ़े।
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2 टिप्पणियाँ
Bhut hi accha
जवाब देंहटाएंVery nice
जवाब देंहटाएंकृपया अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें। जिससे हम लेख की गुणवत्ता बढ़ा सकें।
धन्यवाद