शब्दों की जादूगरी -एक कविता
शब्दों की जादूगरी -एक कविता
शब्दों की जादूगरी भी बड़ी कमाल होती है,
किसी को दुआ,किसी को कटार सी लगती है।
किसी को छू जाती है,किसी को भेद जाती है,
अक्सर कुछ यू होता है,ये दिल के पार हो जाती है।
हर पल,हर क्षण,हर छोर पर,यादों में बसती है,
हर घड़ी,हर पहर,यह डंके की चोट सी लगती है।
अचूक और अदृश्य सी होती है यह बोली,
पर लग जाए तो कड़वी अहसास होती है।
कुछ बोली मीठी गुड़ सी रसभरी होती है,
ना जाने कैसा जादू यह सब पर करती है।
बिन डोर खिची जाए कोई पतंग जैसे,
हर चेहरे पर प्यारी मुस्कान भर देती है।
कुछ चंचल,मधुर,लुभावन सी बोली होती है,
साम, दाम, दण्ड, भेद में जो घोली होती है।
अपनो से मिलकर करती यह वार बराबर,
दोस्ती हो या रिश्ते सम्भलने का मौका न देती है।
फँस जाते है बहुत से लोग इन शब्दों के जन्जाल में,
कुछ सुलझ जाते हैं तो कुछ उलझ जाते हैँ।
कई अर्थो का भँवर है, ये शब्दों का मायाजाल,
कुछ उभर जाते हैं तो कुछ डूब जाते हैं।
शब्दों की रूपरेखा भी एक सवाल होती है,
लिख जाए जो मानस पटल पर,
फिर कभी न यह साफ होती है।
शब्दो की जादूगरी बड़ी कमाल होती है ।।
-शाम्भवी पाण्डेय
लेखिका द्वारा रचित अन्य कविताएँ -
6 टिप्पणियाँ
अच्छी कविता
जवाब देंहटाएंThank you
हटाएंBahut achhi
जवाब देंहटाएंThanks
हटाएंMai kya likhu koi shabd hi nhi hai mere pas mai aapki kavitayein padhh kr itna khus hoti hu ki bta nhi sakti thanks very nice 🙏👍😊👌
जवाब देंहटाएंआपके हृदय स्पर्शी कथनों ने मेरे उत्साह को और भी अधिक बढ़ा दिया।
हटाएंहृदय से आभार।
कृपया अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें। जिससे हम लेख की गुणवत्ता बढ़ा सकें।
धन्यवाद