Happy father's day, poem on father's day in hindi," कोई नहीं मेरे पापा सा " - एक कविता

Happy father's day, father's day pe poem,in hindi,"कोई नहीं मेरे पापा सा"- एक कविता
 

"कोई नहीं मेरे पापा सा"- एक कविता


रात की काली चादर ओढे,

आया सपना एक सुहाना सा,

नन्ही-नन्ही कड़ी को जोड़ें,

बन गया कोई फसाना सा।


काजल को स्याही बनाई,

नींद उडेली आँखो में,

मन के कोरे पन्नों पे,

चित्र बनाया प्यारा सा।

रात की काली चादर ओढ़े,

आया सपना एक सुहाना सा।।


रंग बिरंगे खेल खिलौने,

नये नये उपहार लिए,

भर दिया सन्दूक पूरा,

वो कौन है इतना प्यारा सा।

रात की काली चादर ओढ़े,

आया सपना एक सुहाना सा।।


विश लिस्ट सब पूरी होती,

कोई कमी न इसमे रहती,

बिन कहे जो सब कर दिया,

बताओ कौन है इतना न्यारा सा।

रात की काली चादर ओढ़े,

आया सपना एक सुहाना सा।।



सपना हो या हो हकीकत,

मेरे साथ वो हर पल है,

बन गया वो मेरा सुपर हीरो,

है वो खूब हिम्मत वाला सा।

रात की काली चादर ओढ़े,

आया सपना एक सुहाना सा।।


मेरे डर को जो भगाए,

जीत का पाठ मुझे सिखाये,

मुझ पे हर पल प्यार लुटाए,

और कोई नहीं मेरे पापा सा।

रात की काली चादर ओढ़े,

आया सपना एक सुहाना सा।।


           - शाम्भवी पाण्डेय



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15 टिप्पणियाँ

  1. भावपूर्ण रचना है शब्दों का सही चयन है

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  2. हर बच्चे के मन का भाव -- कोई नही मेरे पापा सा।

    लाजवाब कविता।

    Keep it up 👍👍

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  3. बेहद खूबसूरत कविता। भाव और अर्थ एक साथ मिल गए।

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