असंभव तो कुछ भी नहीं
असंभव तो कुछ भी नहींअब उठ तू और जाग जा
भर हौसलो की उड़ान को,
असंभव को संभव कर देना
यही जिद तेरी पहली है।
झोंक दें सारी ताकत अपनी
दिखा दे सारे जहान को,
किस्मत अपनी बदल सकता है
बड़ी प्रबल तेरी इच्छाशक्ति है।
वक्त भरोसे न बैठेगा तू
मेहनत पर अपनी भरोसा कर,
साध निशाना लक्ष्य पर सीधा
तेरी अर्जुन की सी दृष्टि है।
कुछ तो बात खास होगी तुझमे
कभी अपने अन्दर झाँक तू,
ले गोते मन के सागर में
कहीं छुपी सीप में मोती है।
कुछ खोऐगा, कुछ पायेगा
कुछ इसमे व्यर्थ जाऐगा,
हौसला तेरा रोज बढेगा
आत्मविश्वास में बड़ी शक्ति है।
एक प्रयास तुम्हारा होगा
प्रकृति सहयोगी बन जाएगी,
देख तेरे परिश्रम को
तुझे साहिल तक ले जाएगी।
अब उठ और बढ जा एक कदम
क्यों करता इसमें देरी है,
असंभव को संभव कर देना
होगी जीत तेरी यह पक्की है।।
- शाम्भवी पाण्डेय
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8 टिप्पणियाँ
बहुत ही postive poem है
जवाब देंहटाएंपढ़ने से महसूस हुआ सब कुछ पाया जा सकता है
धन्यवाद मैम, बहुत अच्छी कविता है
हटाएंThank you
हटाएंThank you
हटाएंBhut Sundar kabita
जवाब देंहटाएंBahut he sundar
जवाब देंहटाएंबस जागने भर की देरी है … सकारात्म से भरपूर रचना 🙏
जवाब देंहटाएंDhnywad
हटाएंकृपया अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें। जिससे हम लेख की गुणवत्ता बढ़ा सकें।
धन्यवाद