Happy father's day, father's day pe poem, in hindi,"एक बेटे का पिता को लिखा गया पत्र"- fathers day special
नन्हे नन्हे जब थे मेरे कदम,
मुझे चलना तुमने था सिखलाया,
हर डगर पर मेरे साथ रहें,
फिर सम्भलना मुझको सिखलाया |
खेल खिलौने खूब मिठाई,
लेकर घर जब आते थे,
गले लगा के लाड लगाते,
फिर घूमाने हमें ले जाते थे |
न जाने कब मैं बड़ा हो गया,
संग में घूमना फिरना छूट गया,
समझ के खुद को होशियार,
अनुशासन को भी भूल गया |
हर बात में तेरा मुझको टोकना,
अब बड़ा बुरा मुझे लगने लगा,
कुछ अपने जैसे दोस्तो के संग,
संस्कार को भी मैं भूल गया |
खुद पर जब जिम्मेदारी आयी,
लडखड़ाते कदम सम्भल गये,
पहले पति फिर पिता बना,
नये नाते मुझसे जुड़ गये |
अब पापा-पापा कहकर,
जब मेरा बच्चा दौड़ता है,
मेरे अन्दर का बच्चा भी,
बचपन में लगाता गोता है |
अब उसका आँख दिखाना मुझे,
कितना बेचैन करता है,
पापा तुमने कितना कुछ सहा,
ये सोच के अब दिल रोता है |
हो सके तो मुझे मॉफ कर देना,
तेरा दिल मैने जो तोड़ा है,
इस दिन से ही सब सीखा मैनें,
यह वक्त और उम्र का धोखा है |
एक बार फिर से ऊगली पकड़,
सही राह मुझे दिखलाना,
हो सके तो मुझको पास बिठा,
जीवन का पाठ सिखलाना।
-शाम्भवी पाण्डेय
लेखिका द्वारा रचित अन्य कविताएँ -
लेखिका द्वारा रचित अन्य कविताएँ -
5 टिप्पणियाँ
पत्र भावपूर्ण है
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद
हटाएंबहुत ही सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंऐसे ही उत्साह हमारा बढ़ाते रहें।
Bhut Achi vyakhya
जवाब देंहटाएंकृपया अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें। जिससे हम लेख की गुणवत्ता बढ़ा सकें।
धन्यवाद