बचपन, बच्चे और उनका मनोविज्ञान
बचपन एक ऐसा शब्द है जिसे सुनते ही सभी के चेहरे मुस्कुरा उठते हैं और दिल उस पल की प्यारी यादों ,बेफिक्र लम्हों, पैरंटस के दुलार के पलों में गोते लगाने लगता है । हम सभी जब अपने आसपास छोटे बच्चों को देखते हैं तो हम भी अपने अपने बचपन को याद करने लगते हैं, जैसे कि हम क्या-क्या खेला करते थे, कैसे - कैसे नई चीजों को सिखा करते थे वगैरा - वगैरा । क्या आपने कभी सोचा है कि बच्चे नई नई चीजें कैसे सीखते हैं ? और उनकी इस ग्रोन अप टाइम में हम और आप उनकी केयर कैसे कर सकते हैं?
बच्चों का मनोविज्ञान
बच्चों को कोई चीज सिखाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है उनकी साइकॉलजी समझना। ऐसे तो बचपन जन्म से किशोरावस्था तक का समय होता है, पर यहां हम बात कर रहे हैं जन्म से 5 वर्ष तक के बच्चे की । जी हां, जन्म से 5 वर्ष के उम्र के बच्चों की ।
इस समयावधि को हम तीन भागों में देखते हैं-
- जन्म से 01 वर्ष,
- 01 वर्ष से 03 वर्ष,
- 03 वर्ष से 05 वर्ष
जन्म से 01 वर्ष का बच्चा
नवजात शिशु का डेवलपमेंट बहुत तेजी से होता है| 12 महीने का पूरा होते ही गोदी का बच्चा चलना शुरू कर देता है| इस समय उनके शारीरिक विकास पर सर्वाधिक ध्यान देने की जरूरत है जिससे बच्चे का प्रत्येक अंग सही ढंग से विकसित हो सके क्योंकि इस समय बच्चे बोलना नहीं सीखे होते हैं सिर्फ आ…. बा…. जैसे शब्दों से हंसकर, रोके ही अपनी बातें व्यक्त कर सकते हैं | इसलिए बच्चों के हंसने और रोने बड़बड़ आहट को कैसे समझे हम आगे इस पर चर्चा करेंगे |
01 वर्ष से 03 वर्ष का बच्चा
इस समय बच्चों के पांच पैर होते हैं| आप सोच रहे होंगे की पांच पैर कैसे ? तो बात यह है की इस समय बच्चे दो हाथ, दो पैर और दिमाग का प्रयोग कर नया-नया चलना शुरू करते हैं | इसलिए उन्हें भागने में बड़ी मजा आती है | नई नई चीजों को हाथ से पकड़ना अच्छा लगता है| साथ ही साथ उनका दिमाग इस समय बहुत तेज विकसित हो रहा होता है वह नई नई चीजों को अब देख कर अच्छे से समझने की कोशिश करते हैं | सब अपने हाथों से छूना चाहते हैं | इस समय बच्चों का मानसिक विकास बहुत तेजी से होता है|
03 वर्ष से 05 वर्ष का बच्चा
अब हमारे बच्चे बाहरी दुनिया से कनेक्ट हो रहे होते हैं, उनकी आंखें ही उनके कानों का भी काम करती हैं | बच्चे आंखों से जो देखते हैं उसी पर बिलीव करते हैं और यही बिलीव उनका बिहेवियर बन जाता है इस समय बच्चों का इमोशनल डेवलपमेंट होता है| इसलिए इस समय सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि बच्चों से कैसे इमोशनली जुड़े , कैसे और क्या चीजें बच्चों को सिखाएं ,किस प्रकार का व्यवहार उनके साथ करें, कैसे उनके मनोभाव को समझें?
बच्चों के डेली रूटीन से जुड़े छोटे-छोटे विषयों से संबंधित बातें, उसमें आने वाली समस्याएं, चुनौतियों को ,बच्चों के मनोभावों को समझने के लिए हमारा ब्लॉग एक क्रमबध्य श्रृंखला प्रस्तुत करने जा रहा है |
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इस लेख को पढ़ने और हमारा मनोबल बढ़ाने के लिए आप सभी को धन्यवाद । आप सभी इस लेख के बारे में अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें, साथ ही यह भी बताएं बच्चों से संबंधित वह कौन सा विषय है जिस पर हम अपने लेख में चर्चा करें और वह हम सभी के लिए लाभकारी हो।
धन्यवाद
6 टिप्पणियाँ
ठीक है अब आगे उत्सुकता हो रही है
जवाब देंहटाएंपढ़ने की
Wow! मन किया पढ़ते ही जाएं पढ़ते ही जाएं.…
जवाब देंहटाएंआगे की श्रृंखला जल्दी जारी ,उत्साह बढ़ाने के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंमेरी बेटी ढाई वर्ष की है वह अभी सही से बोल नही पाती है उसके लिए अपने लेख के माध्यम से कृपया कुछ बताये
जवाब देंहटाएंसादर 🙏
अपनी प्रतिक्रिया देने और हमें सुझाव बताने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
हटाएंश्रृंखला में जल्द ही इस विषय पर लेख आएंगे । ये लेख निश्चित ही आपके और हमारे लिए लाभकारी होंगे।
धन्यवाद
https://www.shambhav.co.in/2021/08/blog-post_18.html
हटाएंक्या करें अगर ढाई साल का बच्चा बोल नहीं पा रहा तो?
कृपया अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें। जिससे हम लेख की गुणवत्ता बढ़ा सकें।
धन्यवाद