बदलते मौसम में शिशु की देखभाल कैसे करें? How to take care of baby in changing season?

बचपन, बच्चे और मनोविज्ञान श्रृंखला का अगला लेख

पिछले लेख में मैंने आप लोगो से बच्चे की हर महीने के फिजिकल इंप्रूवमेंट उसके सारे विकास के बारे में चर्चा की थी कि बच्चा किस किस महीने क्या क्या एक्टिविटी करता है | गर्भावस्था से ही हम अपनी आने वाली संतान के लालन-पालन उसके पोषण के बारे में विचारशील हो जाते हैं। लेकिन शिशु के लालन-पालन में कई प्रकार की चुनौतियों का भी हमें सामना करना पड़ता है जिसका अंदाजा पहले से नहीं लगा सकते हैं। आज का लेख उन्हीं विचारणीय बिंदुओं पर केंद्रित है जो पहली बार मां बनने वाली महिलाओं के लिए चुनौतीपूर्ण होता है|


    बदलते मौसम में शिशु की देखभाल कैसे करें?

    How to take care of baby in changing season?



    बच्चा जब मां के गर्भ में होता है तो वह 9 महीने एक निश्चित तापमान में रहता है, लेकिन जैसे ही बच्चे का जन्म होता है ,उस समय बच्चे के लिए वातावरण का तापमान अचानक से चेंज हो जाता है। ऐसे में बच्चे को वातावरण के अनुकूल बनाने के लिए बच्चे की विशेष देखभाल की जरूरत होती है। बच्चे को हमेशा कॉटन की चद्दर या कपड़े में लपेट कर रखना चाहिए साथ ही बच्चे बहुत ही नाजुक होते हैं इसलिए बच्चे के सिर और पैर भी ढक कर रखना चाहिए;  परंतु ध्यान रखें कि बच्चे का चेहरा खुला हो जिससे उसको सांस लेने में कोई समस्या ना आए ।


       बदलते मौसम में बच्चों की देखभाल कैसे करें? यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है। बच्चे को गर्माहट बहुत जरूरी है अगर मौसम सर्दी का है तो इसके लिए बच्चे को अच्छे से गर्म कपड़े पहना कर रखे  तथा गर्म कपड़े ओढाएं । क्योंकि बच्चे जितना गर्म रहेंगे उतने ही बच्चे स्वस्थ रहेंगे 


        अगर गर्मी का मौसम है तो उस समय बच्चे को पंखे और AC के सीधे सामने नहीं सुलाए।  आवश्यकता हो तो AC का temperature ऐसा रखें एक रूम टेंपरेचर [25-27] के समान हो जिससे बच्चे को ठंड ना लगे । साथ ही साथ बच्चे को पंखे की भी सीधी हवा लगने से बचाएं। क्योंकि direct हवा  लगने से बच्चों को नाक से सांस लेने में हल्की  दिक्कत महसूस हो सकती है। ऐसे में बच्चे मुंह खोल कर सोते हैं जिससे उनका मुंह बार-बार सूख जाता है। इस बारे में एक पुरानी कहावत है कि दूधमुहें बच्चे का मुंह सूखना नहीं चाहिए।


    शिशु को स्तनपान कराने के लाभ और चुनौतियां

    Benefits and challenges of breastfeeding a baby.



    बच्चे का जन्म लेना मां के लिए अप्रतिम सुखद एहसास है जो पूरे परिवार को सुखमयी एहसासों से भर देता है । नवजात शिशु को जन्म से 24 घंटे डॉक्टर की देखरेख में रखना चाहिए। शिशु के लालन-पालन में पहला सबसे महत्वपूर्ण कार्य है नवजात शिशु को मां का दूध पिलाना । मां का पहला दूध बच्चे के लिए अमृत समान है  । स्तनपान कराने से नवजात शिशु का पोषण तो होता ही है इसके साथ ही मां और बच्चे के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। बच्चे और मां के बीच आत्मिक संबंध जुड़ना प्रारंभ होता है ।
       लेकिन आज के दौर में अक्सर हमें सुनने को मिलता है कि बच्चों को मां का दूध नहीं मिल पा रहा है।  जिसका कारण है मां में प्राकृतिक रूप से दूध का निर्माण ना हो पाना। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें एवं अपने खानपान में विशेष रूप से दूध बढ़ाने वाले मसालों का सेवन करें। जिसमें मुख्य रूप से सतावर ,पीपली ,जीरा उपयोग में आते हैं । कभी-कभी उचित खानपान के बावजूद भी मां को प्राकृतिक दूध नहीं बन पाता । ऐसी परिस्थिति में अपने को हीन मानने या परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। ऐसे में बच्चे के लिए डॉक्टर के परामर्श के पश्चात ही उसे फार्मूला दूध देना चाहिए।

         बच्चों को दूध पिलाते समय एक विशेष बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि बच्चे को हमेशा बैठकर दूध पिलाएं इससे बच्चे के कान में दूध जाने का खतरा नहीं होता है और बच्चे कान के इंफेक्शन से भी सुरक्षित रहते है । मुझे यह बात मेरी सासू मां ने बताई थी जिसका मैंने पालन किया । आशा करते हैं यह सलाह आपके लिए भी लाभकारी होगी।

    बचपन, बच्चे और मनोविज्ञान श्रृंखला के अन्य लेख -


    अन्य सम्बंधित लेख पढ़ें 

    1-बचपन, बच्चे और उनका मनोविज्ञान 

    2-नवजात शिशु की देखभाल कैसे करें ?

    3-जन्म से 6 माह तक के बच्चे की भाव भंगिमा, एक्टिविटीज कैसे समझें ?

    4-बच्चों को कैसे अच्छी नींद सुलाएं ?

    5-बच्चों के पॉटी के कलर से कैसे जाने उनका स्वास्थ्य ?

    6-बदलते मौसम में शिशु की देखभाल कैसे करें?


    इस लेख को पढ़ने और हमारा मनोबल बढ़ाने के लिए आप सभी को धन्यवाद । आप सभी इस लेख के बारे में अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें, साथ ही यह भी बताएं बच्चों से संबंधित वह कौन सा विषय है जिस पर हम अपने लेख में चर्चा करें और वह हम सभी के लिए लाभकारी हो।


    -धन्यवाद 


    एक टिप्पणी भेजें

    0 टिप्पणियाँ