एक फौजी का प्यार-एक कविता

 एक फौजी का प्यार, संभव, शाम्भवी पाण्डेय


फौलादी और मजबूत इरादों वाले फौजी  दिल से बहुत ही भावुक और संवेदनशील होते हैं ,उन्हीं भावों को व्यक्त करती हुई एक कविता जिसे पंक्तिवद्ध करते हुए मैं शाम्भवी पाण्डेय आपको प्रस्तुत कर रही हूं और आशा करती हूं कि जरूर पसंद आएगी……

                             
फौजी का प्यार


एक मासूम दिल-बेफिक्र सा,

जवानी की उमंगों और

मस्ती के रंगों में

डुबकी लगाता हुआ, 

जिसका जीवन था

देश को समर्पित,

जिसका लहु करता है

देश को सुरक्षा से सिंचित।

       


जिसे एहसास था 

एक ही जिम्मेदारी का 

मां, भारत मां, भारत देश।

एक दिन घर वालों ने

नई जिम्मेदारी सिखा दी,

शादी करा दी और

बीबी घर ला दी,

जवान और जिम्मेदार होते हैं

एक ही सिक्के के दो पहलू,

जिसे गोली से भी प्यार होता है 

और होता है बीवी से भी।


मैरिज हुई थी अरेंज

तो थोड़ा समय तो लगना ही था,

वादियों की हिफाजत को

जवान को फिर निकलना भी था,

बोल ना पाते दोनों कुछ भी

एहसास अभी कुछ ज्यादा ना था,

जल्दी आना कहना उसका

दिल को उसके छू जाना ही था।


अक्सर घटाओ में जब भी

हवाएं छूकर निकलती थी,

याद दिला जाती थी उसकी

जो दिल में उसके बसती थी,

कई बार फोन पर कोशिश भी की

लेकिन इजहार कभी ना कर वो सका,

जल्दी घर आऊंगा यह कहकर

मन ही मन खुश होने लगा।


इस बार जब घर आऊंगा तो

प्रेमी बनकर दिखाऊंगा,

इंतजार किया है जितना उसने

उसे प्यार से सजाऊंगा,

राह तकती होगी वह भी मेरी

कई अरमानों को संजोया होगा,

शायद दिल के किसी कोने में उसने भी

प्यार का बीज बोया होगा।


जीवन को प्यार के एहसासो से

हमेशा महकाएं रखना,

रहूं जब मैं दूर तुझसे तो दिल में

यादों को मेरी जगाएं रखना,

मैं फर्ज निभाऊंगा पति होने का

तू विश्वास मुझमें बनाएं रखना,

मैं कर्ज चुकाऊंगा मिट्टी का

तू साथ अपना बनाएं रखना।



       - शाम्भवी पाण्डेय



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