बच्चे का पढ़ाई में मन कैसे लगाएं,संभव,शाम्भवी पाण्डेय

बच्चे का पढ़ाई में मन कैसे लगाएं,संभव,शाम्भवी पाण्डेय


पहले का समय था जब बच्चे स्कूल जाने के नाम से रोने लगते थे लेकिन आधुनिक युग में स्कूलों के मॉडल लुक एवं विभिन्न प्रकार की स्मार्ट एक्टिविटी के कारण बच्चे स्वयं से स्कूल जाने के लिए तैयार रहते हैं ।


स्कूलों में बच्चों को जहां एक तरफ डिफरेंट टाइप के गेम और झूले आकर्षित करते हैं वहीं दूसरी तरफ पढ़ाई कराने के स्मार्ट क्लास के तरीकों से बच्चों का पढ़ाई के प्रति आकर्षण बढ़ गया है ।

    
                   
बच्चे का पढ़ाई में मन कैसे लगाएं,संभव,शाम्भवी पाण्डेय


फिर भी कई बार ऐसा देखा गया है कि कुछ बच्चों का मन पढ़ने में नहीं लगता, उन्हें स्कूल जाना पसंद नहीं आता या फिर स्कूल तो चले जाते हैं लेकिन होमवर्क करने के नाम पर उनमें एक अरुचि सी दिखती है । 

इसके लिए जरूरी है उन कारणों को जानना जिसके कारण बच्चे पढ़ाई से दूर भागते हैं।


बचपन,बच्चे और उनका मनोविज्ञान की आज की श्रृंखला में हम जानेंगे कि बच्चे का पढ़ाई में मन कैसे लगाएं ?

बच्चे का पढ़ाई में मन कैसे लगाएं :

  • बच्चों की पूरे दिन की रूटीन बनाएं । सुबह उठने से लेकर रात सोने तक का समय और कितने समय में क्या करना है या फिक्स होना चाहिए ।

  • स्कूल की छुट्टी के दिनों में बच्चों की ड्यूटी में थोड़ा सा बदलाव भी आवश्यक है

  • इंटरेस्टिंग लंच के साथ-साथबच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए कुछ सरप्राइस भी काफी मददगार साबित होते हैं

  • बच्चों को स्कूल से आने के बाद आराम कराएँ

  • टीवी का देखने का टाइम फिक्स हो

  • खेलने का टाइम फिक्स होइंडोर गेम के साथ-साथ आउटडोर गेम भी जरूरी

  • पढ़ाई का टाइम भी फिक्स हो

  • पढ़ाई के लिए टेबल चेयर पर बैठना जरूरी

  • होमवर्क कंप्लीट करवाने में मदद करें

  • बाहर घूमाने ले जाएं

  • बच्चों की प्रशंसा जरूर करें

  • अन्य बच्चों से तुलना कभी ना करें

  • संतुलित आहार बहुत जरूरी

  • बच्चों के दोस्त बन कर रहे हैं

  • अच्छी नींद है जरूरी


पिछले लेख "बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लगता है जाने इसका कारण " में वर्णित ऐसे कोई कारण जो आपके बच्चे के दिमाग पर नकारात्मक असर डालते हैं, बच्चों में पढ़ाई के प्रति अरुचि या भय उत्पन्न करते हैं, जिससे बच्चों का मन पढ़ाई से भागता है ।

इसके लिए जरूरी है उन कारणों की पहचान करें और फिर उस समस्या को दूर करने का प्रयास करें ।

तब हम देखेंगे कि हमारा बच्चा जो हमेशा पढ़ाई से दूर भागता रहता था अब वह पढ़ाई के लिए स्वयं सचेत है वा प्रोग्रेसिव भी है ।



  • शाम्भवी पाण्डेय


                 

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