आजादी का अमृत महोत्सव -एक कविता । Happy Independence Day 2022 ।

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आजादी का अमृत महोत्सव क्या है ?

आजादी का अमृत महोत्सव भारत की स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे होने और यहां के लोगों को देश की संस्कृति और उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास को स्मरण कराने के लिए भारत सरकार की ओर से किए जाने वाला एक कार्यक्रम है।

शुरुआत कब हुई ?

आजादी के अमृत महोत्सव की आधिकारिक शुरुआत 12 मार्च 2021 से हुई,जिसकी 75 सप्ताह की उल्टी गिनती शुरू की गई है तथा 1 वर्ष बाद 15 अगस्त 2022 को यह समाप्त होगी।


आजादी का अमृत महोत्सव यानी - 'आजादी की ऊर्जा का अमृत'। यह महोत्सव राष्ट्र के जागरण का महोत्सव है, यह वैश्विक शांति और विकास का महोत्सव है।

- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी


आजादी के अमृत महोत्सव के विषय:


1-स्वतंत्रता संग्राम -
इतिहास के उन गुमनाम नायकों को याद करना जिन्होंने हमारे देश को स्वतंत्र बनाने में अपने प्राणों की बलि दे दी या अपना सर्वस्व न्योछावर किया।



 2-विचार -
भारत को आकार देने वाले विचार और आदर्शों का जश्न मनाना, ऐसे विचार जिन्होंने पूर्व में हमारा मार्गदर्शन किया है और भविष्य में हमें नया रास्ता दिखाएंगे ।

 3-समाधान -
देश को मजबूत करने के लिए विशेष उद्देश्य और लक्ष्यों के प्रति प्रतिबद्धता को बढ़ाने वाले हमारे संकल्प के रूप में शामिल है। प्रत्येक व्यक्ति समूह,समाज और शासन हमारे देश के मातृभूमि को आकार देने वाले सामूहिक संकल्प और अवधारणाओं को विकसित करने में अपनी भूमिका निभाना होगा ।

4-कार्यक्रम -
सरकार के द्वारा अपनी नीतियों के माध्यम से भारत को विश्व में एक सही स्थान दिलाने के लिए किए जा रहे कार्यक्रमों में प्रकाश डालना ।

4-उपलब्धियां - 
हमारे देश की विरासत एवं प्राचीन इतिहास की उपलब्धियों को प्रदर्शित करना तथा देश की जनता को विभिन्न क्षेत्रों के विकास में प्रगति को बताना ।



साभार-www.https://amritmahotsav-nic-in.


आजादी के पावन पर्व पर मेरी स्वरचित कविता


आजादी के पावन पर्व पर महोत्सव यह जरूरी है।

बलिदान हुए हैं शीश कई याद रखना यह जरूरी है।।


साल 75 बीत गए देश को नया आयाम लिए,

ज्ञान विज्ञान धर्म उन्नति का नया साज श्रृंगार किए,

आजादी अब परवान चढ़े एक कोशिश यह जरूरी है,

विश्व मंच पर नाम देश का स्वर्णिम होना जरूरी है।


आजादी के पावन पर्व पर महोत्सव यह जरूरी है।

बलिदान हुए हैं शीश कई याद रखना यह जरूरी है।।

 


छिना हुआ था सदियों तक वह वैभव हमने पाया है,

सशक्त हुई हमारी सेना दुश्मन देश घबराया है,

ताकत है तो ताकत का प्रदर्शन करना भी जरूरी है,

विश्व अग्रणी देश बनना भी अब यह जरूरी है।


आजादी के पावन पर्व पर महोत्सव यह जरूरी है।

बलिदान हुए हैं शीश कई याद रखना यह जरूरी है।।


आजादी का अमृत महोत्सव

यहाँ धुन जन-गण-मन की देशभक्ति का प्राण भरें,

माटी की सोंधी खुशबू विजय तिलक अभिमान रखें,

शक्ति और सामर्थ्य का एक रुप होना जरूरी है,

हर धड़कन में देशप्रेम का स्वर गूँजना यह जरूरी है।


आजादी के पावन पर्व पर महोत्सव यह जरूरी है।

बलिदान हुए हैं शीश कई याद रखना यह जरूरी है।।

 


                           

                                   -शाम्भवी पाण्डेय




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