आजादी का अमृत महोत्सव -एक कविता । ( कविता,स्टेटस,स्लोगन,लेखन,निबंध,क्या है,क्यों मनाया जाता है,कब से कब तक,पोस्टर,बैनर) (Poetry, Status, Slogan, Writing, Essay, What is, Why is it celebrated, since when, poster, banner)Happy Independence Day 2022 ।Amrit Festival of Independence - A Poem.
शुरुआत कब हुई ?
आजादी का अमृत महोत्सव यानी - 'आजादी की ऊर्जा का अमृत'। यह महोत्सव राष्ट्र के जागरण का महोत्सव है, यह वैश्विक शांति और विकास का महोत्सव है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
आजादी के अमृत महोत्सव के विषय:
इतिहास के उन गुमनाम नायकों को याद करना जिन्होंने हमारे देश को स्वतंत्र बनाने में अपने प्राणों की बलि दे दी या अपना सर्वस्व न्योछावर किया।
भारत को आकार देने वाले विचार और आदर्शों का जश्न मनाना, ऐसे विचार जिन्होंने पूर्व में हमारा मार्गदर्शन किया है और भविष्य में हमें नया रास्ता दिखाएंगे ।
देश को मजबूत करने के लिए विशेष उद्देश्य और लक्ष्यों के प्रति प्रतिबद्धता को बढ़ाने वाले हमारे संकल्प के रूप में शामिल है। प्रत्येक व्यक्ति समूह,समाज और शासन हमारे देश के मातृभूमि को आकार देने वाले सामूहिक संकल्प और अवधारणाओं को विकसित करने में अपनी भूमिका निभाना होगा ।
सरकार के द्वारा अपनी नीतियों के माध्यम से भारत को विश्व में एक सही स्थान दिलाने के लिए किए जा रहे कार्यक्रमों में प्रकाश डालना ।
हमारे देश की विरासत एवं प्राचीन इतिहास की उपलब्धियों को प्रदर्शित करना तथा देश की जनता को विभिन्न क्षेत्रों के विकास में प्रगति को बताना ।
आजादी के पावन पर्व पर मेरी स्वरचित कविता
आजादी के पावन पर्व पर महोत्सव यह जरूरी है।
बलिदान हुए हैं शीश कई याद रखना यह जरूरी है।।
साल 75 बीत गए देश को नया आयाम लिए,
ज्ञान विज्ञान धर्म उन्नति का नया साज श्रृंगार किए,
आजादी अब परवान चढ़े एक कोशिश यह जरूरी है,
विश्व मंच पर नाम देश का स्वर्णिम होना जरूरी है।
आजादी के पावन पर्व पर महोत्सव यह जरूरी है।
बलिदान हुए हैं शीश कई याद रखना यह जरूरी है।।
छिना हुआ था सदियों तक वह वैभव हमने पाया है,
सशक्त हुई हमारी सेना दुश्मन देश घबराया है,
ताकत है तो ताकत का प्रदर्शन करना भी जरूरी है,
विश्व अग्रणी देश बनना भी अब यह जरूरी है।
आजादी के पावन पर्व पर महोत्सव यह जरूरी है।
बलिदान हुए हैं शीश कई याद रखना यह जरूरी है।।
यहाँ धुन जन-गण-मन की देशभक्ति का प्राण भरें,
माटी की सोंधी खुशबू विजय तिलक अभिमान रखें,
शक्ति और सामर्थ्य का एक रुप होना जरूरी है,
हर धड़कन में देशप्रेम का स्वर गूँजना यह जरूरी है।
आजादी के पावन पर्व पर महोत्सव यह जरूरी है।
बलिदान हुए हैं शीश कई याद रखना यह जरूरी है।।
-शाम्भवी पाण्डेय
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