दृष्टिकोण बदलो

दृष्टिकोण बदलो

" नजरिया अपना बदल कर देखो,
  दुनिया बदली नजर आएगी
 मोल भाव अपने कर्मों का करो,
 किस्मत अपने आप खुल जाएगी"



अपनी कठिनाइयां हमें पर्वत के समान दुर्भेद्य , सिंह  के समान भयंकर और अंधकार के समान डरावनी प्रतीत होती हैं। परंतु यह सब यथार्थ में कुछ नहीं केवल भ्रम की भावना मात्र है। इन से डरने का कोई कारण नहीं है|

इस बात का शौक मत करो कि मुझे बार-बार असफल होना पड़ता है । परवाह मत करो क्योंकि समय अनंत है । बार बार प्रयत्न करो और आगे की ओर कदम बढ़ाओ । निरंतर कर्तव्य करते रहो। तुम्हारा एक एक पद सफलता की ओर बढ़ रहा है। आज नहीं तो कल, तुम सफल होकर रहोगे क्योंकि कर्तव्य का निश्चित परिणाम सफलता है।


सहायता के लिए दूसरों के सामने मत गीडगड़ावो क्योंकि यथार्थ में किसी में भी इतनी शक्ति नहीं है जो तुम्हारी सहायता कर सकें।

किसी कष्ट के लिए दूसरों पर दोषारोपण मत करो क्योंकि यथार्थ में कोई भी दूसरा तुम्हें दुख नहीं पहुंचा सकता। तुम स्वयं ही अपने मित्र हो और तुम स्वयं ही अपने शत्रु हो, जो कुछ भली बुरी स्थितियां सामने हैं , वह तुम्हारी पैदा की हुई हैं। अपना दृष्टिकोण बदल दोगे तो दूसरे ही क्षण या भय के भूत अंतरिक्ष में तिरोहित हो जाएंगे।

साभार।

अखंड ज्योति


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