शब्द क्या हैं, शब्द शक्ति, शब्दों की वैज्ञानिकता, प्रभाव क्या है ?
बचपन में सुबह जगाकर पिताजी का यह कहना सूर्योदय हो गया है सूर्य भगवान को प्रणाम करो और एक बार गायत्री मंत्र का पाठ करो । उनका स्नान करने के बाद कहना कि भगवान को प्रणाम कर कम से कम एक बार गायत्री मंत्र पढ़ो। भोजन के पहले पुनः यह कहना कि भोजन मंत्र का पाठ करो । इससे बचपन से ही मन में यह प्रश्न था कि आखिर यह मंत्र है क्या? इसकी वैज्ञानिकता क्या है? और क्यों इसका जाप/पाठ करने के लिए बोला जाता है? यह मंत्र पाठ करने पर हमारे लिए किस प्रकार उपयोगी है? अनेक विद्वान साधु जनों ने जो इतनी उपलब्धियां प्राप्त की क्या उनका आधार मंत्र ही है? इन्हीं प्रश्नों का उत्तर तलाशने के क्रम में शब्द की शक्ति , शब्दों की वैज्ञानिकता , मंत्रों की वैज्ञानिकता , इन विषयों पर चिंतन प्रारंभ किया।
शब्द क्या है? ध्वनि क्या है?
ध्वनि की सबसे छोटी इकाई जिसे लिखा जाता है उसे वर्ण कहते हैं|
वर्ण का जब उच्चारण किया जाता है तो उसे ही ध्वनि कहते हैं | वर्णों का सार्थक रूप ही शब्द कहलाता है | शब्दों को जब एक व्याकरणिक निश्चित क्रम में रखा जाता है तो उसे ही वाक्य कहते हैं | जैसे क ख ग घ यह वर्ण है और इनका उच्चारण करने पर क ख ग घ की ध्वनियां स्वर ग्रंथियों के माध्यम से निकलती हैं| ध्वनि का उच्चारण स्वर ग्रंथियों के द्वारा होता है |
शब्द की शक्ति, शब्दों की वैज्ञानिकता:
विज्ञान बताता है कि कोई शब्द या विचार कभी नष्ट नहीं होता, आज जो बातें कही जा रही हैं या सोची जा रही है वह अपनी तरंगों के साथ आकाश में फैल जाएंगी और अनंत काल तक सृष्टि के अंतराल में किसी न किसी रूप में विद्यमान रहेंगे |
मुख से जो शब्द निकलते हैं उनका उच्चारण मुख के विभिन्न अंगों कंठ, तालु ,मूर्धा ,दंत, ओष्ठ ,जिह्वा आदि द्वारा होता है |
स्वर ग्रंथि से निकलने वाली ध्वनियां-
कंठ से क ख ग घ ङ,
तालु - च छ ज झ ञ ,
मूर्धन्य- ट ठ ड ढण ,
दंत-त थ द ध न और
ओठ- प फ ब भ म आदि इसके अलावा भी अनेक ध्वनियां है जो कई स्वर ग्रंथियों से मिल कर निकलती है.
शब्दों का प्रभाव
उच्चारण काल में मुख के जिन भागों से ध्वनि निकलती है उन अंगों के नाड़ी तंतु शरीर के विभिन्न भागों तक फैले होते हैं| इस फैलाव क्षेत्र में कई दृश्य ,अदृश्य सूक्ष्म ग्रंथियां होती हैं जिन पर उस उच्चारण का दबाव पड़ता है | दृश्य ग्रंथियों में लार ग्रंथि ,कर्णपूर्ण ग्रंथि ,अधोजिह्वा,थैलमस ग्रंथि, हाइपोथैलेमस ,पिट्यूटरी, थायराइड, पैंक्रियाज इत्यादि हैं । फिर अदृश्य ग्रंथियां है जिसको हम देख नहीं सकते जैसे कोश, जिसमे प्राणमय, विज्ञानमय, आनंदमय इत्यादी है ,विभिन्न चक्र जैसे मूलाधार,स्वाधिष्ठान,विशुद्धि,सहस्त्रार आदि| जब हम लोग कोई शब्द बोलते हैं तो बोलने से एक लहर, तरंग प्रवाहित होती है और यही तरंगे हमारे शरीर की ग्रंथि ,कोषों से टकराती है तो एक विस्फोट के साथ ऊर्जा जन्म लेती है यही ऊर्जा शरीर पर प्रभाव डालती है।
जो शब्द जिन अंगों पर टकराते हैं, उनके अनुरूप प्रभाव भी अलग-अलग डालते हैं | जैसे हम मुख से फूकते है-
जब हम बांसुरी में फूकते हैं तो एक अलग मधुर स्वर सुनते हैं और जब हम बच्चों के खिलौने भोपू मे फूंकते हैं तो बहुत ही तेज स्वर सुनाई देता है। फूक समान है पर बांसुरी और भोपू अलग-अलग माध्यम है ।अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग टकराने से अलग-अलग प्रकार की ध्वनि प्रवाहित होती है जिसका अलग-अलग प्रभाव हम अपने कानों से महसूस कर सकते हैं।यही शब्द / ध्वनि शक्ति का भंडार है|
हम सभी ध्वनि तरंगों की शक्ति रेजोनेंस थ्योरी ,अनुनाद सिद्धांत से परिचित है |उसके एक प्रसिद्ध उदाहरण के रूप में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वर्ष 1943 में अमेरिका के ओकला होम में आर्मी की एक टुकड़ी के एक साथ चलने से उत्पन्न ध्वनि तरंगों के कारण टैकोमा ब्रिज धराशाही हो गया था | यही शब्द / ध्वनि शक्ति है | यही शब्द जो विनाश कर सकते हैं,यही शब्द यदि एक विशेष क्रम में उच्चारित किए जाएं तो वह निश्चित ही मनुष्य का मानसिक एवं आध्यात्मिक विकास कर सकते हैं |
शब्दों का प्रभाव, मंत्र शक्ति से कैसे जुडा है ?
आखिर मंत्र में इतनी शक्ति कौन सी है ? कि सर्वशक्तिमान होने के बावजूद भी भगवान राम को रावण पर विजय के लिए आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करना पड़ा ? आखिर मंत्र हैं क्या ? इनका प्रभाव क्या पड़ता है ? इनकी वैज्ञानिकता क्या है ? माता-पिता द्वारा क्यों पूजा के लिए बच्चों को संस्कार दिए जाते हैं ?स्कूल में प्रार्थना क्यों करवाई जाती है ? और किस प्रकार किसी पूजा पाठ में शामिल होने पर हम लोग उन से लाभान्वित होते हैं?
शब्द शक्ति ,शब्द की वैज्ञानिकता के बाद अब हम मंत्र शक्ति ,मंत्र की वैज्ञानिकता और प्रभाव के बारे में जानेगें...
पढिये मंत्र शक्ति, मंत्रों की वैज्ञानिकता क्या है ?

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