बच्च्चों को संस्कारित कैसे बनायें ? बच्चों के सर्वांगीण विकास में माता पिता की भूमिका , बच्चों के प्रति माता पिता का कर्तव्य, माता-पिता बच्चे का ध्यान कैसे रखें , माता पिता के लिए चुनौतियां,
केवल संतान होना ही सौभाग्य का विषय नही है, सौभाग्य का विषय है- उनमें अच्छी आदतें का होना ,उनका योग्य और संस्कारित होना |
बच्चों को सिखाने में माता पिता की पैनी नज़र क्यों जरूरी है ?
बच्चों के सर्वांगीण विकास में माता पिता की भूमिका -
1-बच्चा बाहर जाकर अपने साथियों के साथ किस प्रकार का व्यवहार कर रहा है?
2-अन्य बड़ी उम्र के लोगों के साथ उसका व्यवहार किस प्रकार है?
वह किसी से डर तो नहीं रहा था?
3-अपनी बातें करने में हिचक तो नहीं रहा था?
4-घर से बाहर निकलने के बाद वह कौन सी बातें हैं जिसका हमें अपने बच्चे में सुधार करना आवश्यक है? या किन बातों का विकास करना आवश्यक है जो अगली बार बच्चे को मदद करेंगे।
इन बातों को जानकर निश्चित ही माता पिता, पैरंट्स एवं गार्जियन को सुधार करना चाहिए जिससे बच्चा आत्मविश्वास से भरपूर हो तथा व लोगों के लिए उनके सम्मान का आधार बन सके।
बच्चों के प्रति माता पिता का कर्तव्य , माता पिता के लिए चुनौतियां, बच्चे के पालन-पोषण में क्या सावधानी बरतें?
माता पिता का यह दायित्व है कि अपने बच्चे में समुचित संस्कार एवं सद्गुणों को विकसित करें |
बच्चों के व्यक्तित्व विकास में माता पिता को कुछ सावधानियां भी बरतनी चाहिए जो निम्नलिखित हैं
(1) बच्चे जो देखते हैं वह सीखते हैं |
बच्चे जो देखते हैं वह सीखते हैं | इसलिए मां-बाप को एवं परिवार के सदस्यों को वह आचरण करना चाहिए जो बच्चों के अनुकरणीय है|
बच्चों को उपदेश ही नहीं अपितु आंखों से भी संस्कार दिखना चाहिए |
हम लोगों ने ये बात जरूर सुनी होगी कि बच्चा बाहर जा कर गेस्ट से कहता है कि "पापा कह रहे है ,कह दो ,पापा घर में नही हैं"| अगर हम अपने व्यवहार को अच्छा रखेंगे तो बच्चा भी अच्छा व्यवहार सीखेगा |
(2) बच्चों में आदत एवं संस्कार को विकसित करने में बच्चों की पिटाई नहीं करनी चाहिए |
पिटाई बच्चों में हीनता एवं कुंठा को जन्म देती है |
बच्चों को किसी भी चीज को सिखाने के लिए उनको समझा कर के ही उस कार्य के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए |
(3) बच्चों को माँ-पिता का समय भी मिलना बहुत जरूरी है |
बच्चों को केवल नहला देना, खाना खिला देना, कपड़े पहना देना और समय से स्कूल भेज देना ही पर्याप्त नहीं है |
इसके लिए निम्न सुझाव हैं -
बच्चों के लिए मां-बाप को किस प्रकार समय निकलना चाहिए और उस समय क्या करना चाहिए ?
1-अपना quality एवं quantity समय निकालना चाहिए | (केवल quality ही नही बल्कि बच्चों को अपना कुछ समय भी देना चाहिए, क्योंकि माना भी जाता है कि यदि आप अपना समय देते है तो आप उस कार्य की गंभीरता समझते है | )
2-जिसमें बच्चों से बात करना,
3-उनके मनोरंजन का ध्यान रखना,
4-उनके साथ खेलना ,
5-बच्चों को कहानियां,
6-अपने धर्म एवं संस्कृति से जोड़ना,
7-साथ बैठकर भोजन करना ,
8 -महान पुरुषों के जीवन के बारे में बताना आदि है |
इससे बच्चों की एक तरफ जहां जिज्ञासा शांत होती है, वहीं वे और ज्यादा सीखने के लिए भी प्रेरित होते हैं | इससे बच्चे जहां अपने को महत्वपूर्ण समझने लगते हैं| माता पिता के साथ से उन्हें बहुत ही अच्छी आदतों को आसानी से सिखाया जा सकता है| इससे साथ ही बच्चे का माता-पिता से जुड़ाव भी बढ़ता है |
(4) माता पिता को बच्चे की प्रत्येक गतिविधि पर निगाह रखना चाहिए जैसे -
(अ)-अगर बाहर गया है तो किसके साथ है ?
(ब)-स्कूल में कैसा पढ़ाई कर रहा है ?
(स)-उसके दोस्त कैसे हैं, दोस्तों के संस्कार कैसे हैं ?उनका परिवार कैसा है ?
(द)-बच्चों का दोस्तों के साथ एवं दूसरों के साथ व्यवहार कैसा है?
(5) माता पिता को बच्चों के दोस्त से भी मिलना चाहिए-
अक्सर देखा जाता है कि माता-पिता अपने बच्चों के दोस्त से परिचित नहीं होते हैं | माता पिता को बच्चों के दोस्त से भी मिलना चाहिए इससे मां पिता को अपने बच्चे के दोस्तों एवं उसके परिवार के बारे में जानकारी प्राप्त होती है |
(6) माँ पिता को हमेशा बच्चों की गरिमा का ध्यान रखना चाहिए |
जैसे -
-बच्चों से सम्मान से बात करें ,
-उनके दोस्तों के सामने अनावश्यक गुस्सा ना करें ,
-बच्चें से प्यार से बात करें ,
इससे बच्चों में आत्मविश्वास मजबूत होता है, साथ ही उन्हें अपने माँ पिता पर भी गर्व होता है | लेकिन ऐसा ना करने पर बच्चा अपने को हीन समझने लगता है | माँ पिता बच्चे के आइडियल होते है | अपने बच्चों के फ़ास्ट फ्रेंड बनें | उनका विश्वास जीतने का प्रयास करें जिससे बच्चे अपनी हर बात खुल कर और ठीक से आप से बता सकें |
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