07 जरूरी बातें बच्चों में सामाजिकता एवं नैतिकता का विकास करने के लिये

बच्चों में सामाजिकता एवं नैतिकता का विकास, शिष्टाचार, स्वच्छता एवं व्यवस्थित रहना,उत्तरदायित्व का अनुभव, मिलनसारिता का विकास तथा बच्चों को सत्य एवं प्रिय बोलने की आदत का विकास कैसे करें ?

हम सभी मानते हैं कि


भविष्य को ध्यान में रखकर ही वर्तमान में  व्यवहार किया जाना चाहिए। 


यह स्लोगेन भविष्य के प्रति नीतियां बनाने के लिए हमको शिक्षा देता है

लेकिन पेरेंटिंग के दृष्टिकोण से यह स्लोगन हमें अपनी आने वाली पीढ़ी को जिम्मेदार बनाने के लिए एक संदेश भी देती है कि वर्तमान में मेरे द्वारा अपने बच्चे पर किया गया कार्य, उसे दिया गया समय, सिखाये संस्कार ,और बनायी आदतें  सुखद एवम उज्जवल भविष्य की नीवं रखेगा।

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बच्चों के मामले में भी यह बातें पूरी तरह सही है। इसलिए बच्चों को इस प्रकार का भविष्य देना चाहिए जिससे वे समाज का एक मजबूत स्तंभ बन सके।



    बच्चों में सामाजिकता एवं नैतिकता का विकास कैसे करें ?

    07 जरूरी बातें बच्चों में सामाजिकता एवं नैतिकता का विकास करने के लिये..


    बच्चों को सामाजिक बनाने के लिए , उनमें कुछ अच्छी आदतों का विकास करने के लिए ,कुछ जरूरी आदतों और संस्कारों का यहां उल्लेख किया जा रहा है। आशा करते हैं यह हम सब के लिए बहुत लाभकारी होगा -


    (1)घर पर समानता का वातावरण रखना । 

    घर के सभी बच्चों के साथ बराबर का व्यवहार करना । संयुक्त परिवार में घर के अन्य बच्चों के साथ समानता का व्यवहार करना | घर पर कार्य करने वाले कर्मचारियों से आपका किया गया सदव्यवहार ही आपके बच्चे में यह संस्कार देगा कि हमें किस प्रकार किससे व्यवहार करना चाहिए ।  यह बच्चों में एक समानता एवं बंधुत्व का भाव जगाएगा।


    (2)बच्चों में उत्तरदायित्व का अनुभव कैसे कराएं ? 

    बच्चों में उत्तरदायित्व का अनुभव कराने के लिए घर में बच्चों से छोटी-छोटी मदद लेना चाहिए। उनसे छोटे छोटे काम कराने चाहिए। जैसे किसी संबंधी के घर पर आने पर भोजन परोसने में उनकी मदद लेना, कुछ कार्यों में माता और पिता की मदद करना, वस्तुओं को व्यवस्थित रखने में मदद करना आदि।


    बच्चों में संस्कार किस उम्र से सिखाना चाहिए ? लेख पढ़े |


    (3)बच्चों को शिष्टाचार सिखाना।


    बच्चों को शिष्टाचार सिखाना। शिष्टता एक ऐसा गुण है जो बच्चे को आकर्षित बना देता है | बच्चे द्वारा बोले जाने वाली मीठी बोली , बड़ों का सम्मान जिसमें घर पर आए हुए अतिथियों को प्रणाम करना, उनके साथ सम्मान का व्यवहार करना ,शिष्टाचार करना,बड़ो, बुजुर्गों ,अपने टीचर और माता पिता  का आदर सम्मान करना | ये सारे शिष्टाचार बच्चे को आकर्षक और प्यारा बनाता है और हर व्यक्ति बच्चे की तारीफ करने लगता है |


    (4)स्वच्छता एवं व्यवस्थित रहना

    बच्चों को साफ-सुथरे ढंग से रहने, साफ-साफ लिखने,एवं स्वच्छता का ध्यान रखने की बातें सिखानी चाहिए | जैसे- 

    (a) अच्छी तरह ब्रश करना,दाँतों को और अपनी जीभ बढ़िया से साफ करना,
    (b) रगड़ रगड़ कर नहाना,
    (c) साफ-सुथरे कपड़े पहनना और 
    (d) अपने उपयोग की चीजों को व्यवस्थित रखना आदि |


    (5)बच्चों को उठने बैठने का ,कपड़े पहनने ,ओढ़ने का एवं रहन-सहन का एक सलीका-

    बच्चों को उठने बैठने का ,कपड़े पहनने ,ओढ़ने का एवं रहन-सहन का एक सलीका सिखाना चाहिए। जिससे उनमें लापरवाही और अस्त व्यस्तता के स्थान पर जिम्मेदारी और व्यवस्थित रहने की आदत का शुमार हो। जैसे- 

    (a)सोकर जागने के बाद अपने बिस्तर को सही करना,
    (b)अपने कॉपी किताब एवं पेन स्कूल बैग में और व्यवस्थित रखना ,
    (c)कपड़े एवं जूतों को व्यवस्थित रखना आदि |
    (d)भोजन करने के बाद अपनी थाली को स्वयं उठाना आदि |

    (6)बच्चों में सत्य बोलना और प्रिय बोलने की आदत का विकास -

    बच्चों से बचपन से ही सत्य बोलने की आदत का विकास करना चाहिए | बच्चे प्रायः भय के कारण झूठ बोलते हैं | अगर उनको यह समझाया जाए की भूलें तो सभी से हो सकती हैं और अपना कोई उदाहरण देकर बच्चे को समझाएं |

    इस प्रकार अगर बच्चों को भय रहित होकर अपनी बात कहने के लिए प्रोत्साहित करेंगे तो निश्चित ही बच्चे सत्य बोलेगें | सत्य के साथ ही बच्चों को यह भी सिखाना है कि सत्य बोलिए लेकिन सत्य शिष्टता से और शालीनता से जुड़ा हों | 


    (7)बच्चों में मिलनसारिता एवं सामाजिकता का विकास -


    बच्चों में मिलनसारिता एवं सामाजिकता का विकास करने के लिए दूसरों के घर जाने पर अपने साथ बच्चों को भी ले जाना चाहिए | इससे बच्चों का अन्य लोगों से  परिचय बढ़ता है और उनका संकोच दूर होता है | स्वयं के घर किसी अन्य अतिथि के आने पर -

    (1) उनको परिचय देना ,उनको बात करने का तरीका सिखाया जाना चाहिए ।

    (2) सामाजिकता सिखाने के लिए बच्चों को अपने जन्मदिन पर अपने साथियों को बुलाने के लिए भी प्रेरित करें।  साथ ही उन्हें यह भी समझाएं उनके साथी के घर आने पर उसके द्वारा किस प्रकार का व्यवहार किया जाए।

    (3) जिस प्रकार किसी कार्यक्रम ,शादी, विवाह या पार्टी में जाने के पूर्व हम तैयार होते हैं, अपने कपड़े को बढ़िया से देखते हैं ,अपने मेकअप को बढ़िया से करते हैं । उसी प्रकार उसी तैयारी में 5 मिनट का समय स्वयं को एवं अपने बच्चे को दें ।

    विशेष - किसी पार्टी में जाने से पहले बच्चों को क्या सिखाएं की पार्टी में सब उनकी तारीफ करें?

    (अ) जिसमें अपने बच्चे को बताएं कि जहां आप जा रहे हैं ,वहां किस प्रकार लोगों से व्यवहार करना चाहिए |
    (ब) लोगों के मिलने पर किस प्रकार उनका अभिवादन करें ।
    (स) किस प्रकार लोगों के प्रश्नों का उत्तर दें और किस प्रकार किसी चीज की आवश्यकता होने पर उसको मांगें |

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