हैप्पी रक्षाबन्धन 2O21- भाई बहन का अनूठा रिश्ता

 हैप्पी रक्षाबन्धन 2O21- भाई बहन का अनूठा रिश्ता




डोरी है रेशम की लेकिन रिश्ता अपना अटूट है,

हर रिश्ते नाते से ऊपर भाई - बहन का वजूद है ।


कुमकुम का टीका लगाऊ रेशम की बांध डोर मै,

प्रेम की गाँठ से बांधू भैया दुआओं के रस में दूँ घोल मैं ।


हर रक्षाबन्धन इन्तजार था रहता इस बार कैसे मनाएगें,

कैसी राखी लाएगे,कौन सी मिठाई मगवाँएगे ।


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गिफ्ट के नाम पर भैया हम तुमको बड़ा चिढ़ाते थे,

बस प्यार लुटाते रहना हमेशा यूँही बात यही दोहराते थे।


फिर हो विदा मैं तुझसे भैया चली गई ससुराल में,

रक्षाबन्धन पर आने की तैयारी करने लगी हर साल मैं ।


पर इस बार हूँ बहुत दूर तुझसे घर कैसे आ पॉऊगी,

मेरे प्यारे भैया बोलो रक्षाबंधन मैं कैसे मनाऊंगी ।


इस बार तुम ही आ जाना भैया मैं यही आस लगाऊंगी,

फिर थाल सजा राखी का मैं व्यंजन कई बनाऊंगी ।


कलाई पर बांधी यह एक डोर नहीं है वादा कई यह रस्मो का,

रहूंगी मैं सुख या दुख में कभी तुम वचन निभाना इन रस्मो का ।


तेरा साथ है जो मुझको भैया विस्मित कभी ना मैं होऊँगी,

तू रहे सलामत और तरक्की करें दुआओं से तुझे हमेशा सजोऊंगी ।


भाई बहन का रिश्ता यह जग में है सबसे अनूठा,

ताउम्र निभाना यह बंधन है यूं ही रहे साथ जुड़ा मेरा तुझसे हमेशा ।।



      - शाम्भवी पाण्डेय


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