एक जरूरी बात जो करेगी बच्चे में क्षमता का विकास | Shambhav , शाम्भवी पाण्डेय

एक जरूरी बात जो करेगी बच्चे में क्षमता का विकास,सृजनात्मकता और कल्पनाशीलता का विकास |



"अरे यार तुम तो प्रश्न पूछ कर परेशान कर दिये हो , जब देखो कुछ ना कुछ पूछते ही रहते हो " मेरे पड़ोसी ने अपने बच्चे को डांटते हुए कहा। 

                                        

यह सुनकर मेरे मन में प्रश्न उठा कि क्या प्रश्न करना बच्चे की गलती है ? या बच्चे को डांटना मम्मी पापा की कमी ? बच्चों के बौद्धिक विकास में इसका क्या योगदान है ?

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बच्चों में बैद्धिक विकास:


विज्ञान एवं रिसर्च के अनुसार

05 साल की उम्र तक,बच्चों का दिमाग 85% तक विकसित हो जाता है।


बच्चे सिर्फ पढ़ाई से जुड़ी बातें A to z या 1 तो 100 ही सिर्फ नहीं सीखते बल्कि

5 साल की उम्र तक बच्चे जीवन जीने के गुण,भाषा शैली, प्रत्येक कार्य के पीछे के कारण को सीख रहे होते हैं।


हम सभी देखते हैं कि बच्चे अपने माता-पिता से, अध्यापक से अक्सर प्रश्न करते रहते हैं कि यह क्या है, क्यों किया, कैसे किया, इससे क्या होगा, इत्यादि ।


 कई बार तो बच्चों के जवाब देते-देते पैरंट्स और अध्यापक भी थक जाते हैं।


तो आइए जानते हैं ऐसा क्या करें कि हमारे बच्चों में 100% क्षमता का विकास किया जा सके?


बच्चों को सिखाने में माता-पिता एवम् टीचर की भूमिका:


ढाई साल का होने पर पेरेंट्स अपने बच्चों को प्री स्कूल भेजना शुरू कर देते हैं,जहां वह अन्य बच्चों के साथ खेलना,खाना,पढ़ना,आदि क्रियायें सीखता है। 


खेल-खेल में बच्चा खुद अध्यापक बनता है और अपने अध्यापक के व्यवहार को नाट्य रूप में प्रस्तुत करता है।


अपने दोस्तों की एक्टिविटी को, उसके बोलने,काम करने के ढंग को अपनाता है। तो बच्चों में व्यवहारिक ज्ञान और स्कूल का ज्ञान विकसित होता रहता है।


 लेकिन बच्चे की क्षमता के विकास के लिए जरूरी है बच्चों में कुछ खास बातों का डेवलपमेंट करना है, जिसे विकसित करने के लिए माता-पिता और अध्यापक सबसे महत्वपूर्ण कड़ी माने जाते हैं।


एक जरूरी बात जो करेगी बच्चे में क्षमता का विकास:


बच्चों में क्षमता विकसित करने के लिए उन्हें क्यों कहना सिखाएं, प्रश्न करना सिखाएं।


जब बच्चे प्रश्न करते हैं तो बच्चे उस कार्य के पीछे के कारण को समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर ऐसा कब और क्यों किया जाता है।


जैसे हम देखते हैं अगर बच्चे भोजन करते समय थाली में कुछ भोजन छोड़ दें तो पैरेंट्स ऐसा करने से उन्हें मना करते हैं, कि थाली में भोजन नहीं छोड़ना है। इस पर बच्चा प्रश्न करता है क्यों? 


बच्चे का कहना है कि उसका पेट तो भर गया है फिर वह बचे भोजन को क्यों नहीं छोड़ सकता?


तो पैरेंट्स उसे भोजन के महत्व को समझाते हैं,भोजन की बर्बादी के नुकसान के बारे में बताते हैं। तब बच्चा उस बात को समझता है और अच्छी बातें अपनाता है।


बच्चा दिनचर्या के कार्यों में भी इसी प्रकार के प्रश्नों को करता है और जीवन की शैली को समझता है। क्योंकि बच्चा तो छोटा है जरूरी नहीं कि वह सभी अच्छी बातें तुरंत ही अपना ले , 


लेकिन जैसे-जैसे वह बड़ा होगा वह उस शैली को अपनाऐगा जिसे वह अभी देख रहा है और अपने प्रश्नों के माध्यम से समझ रहा है।


इसलिए बच्चों में प्रश्न करने की आदत विकसित जरूर करें और जब भी बच्चा कोई प्रश्न करें तो पूरे धैर्य , गंभीरता एवम् तर्क के साथ उसके प्रश्नों के सही उत्तर दें।


प्रश्न करने से बच्चों में तर्क करना और फर्क समझना इन दोनों बातों का विकास होता है, जो बच्चे की बौद्धिक क्षमता को विकसित करता है। 


क्षमता विकास की आवश्यकता क्यों:


बच्चों में क्षमता विकसित करने का यह मतलब नहीं कि वह बड़ा होकर डॉक्टर,इंजीनियर या कोई अधिकारी ही बने। 


क्षमता विकसित करने का अर्थ है बच्चे में बौद्धिकता का विकास करना , जिससे वह किसी भी प्रकार की परिस्थिति या चुनौती का सफलतापूर्वक सामना कर सके और जीवन में एक सफल इंसान बन सके ।


यही क्षमता बच्चों के अंदर सृजनात्मकता और कल्पनाशीलता को भी जन्म देती है |


बच्चों में सृजनात्मकता के विकास के लिए यह लेख पढ़ें और

कल्पनाशीलता के विकास के लिए यह लेख पढ़ें|


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