धूल की उपयोगिता in Hindi।

धूल क्या है? उपयोगिता क्या है?हमारे जलवायु पर धूल किस प्रकार प्रभाव डालती है? What is dust?  What is the utility? How does dust affect our climate? Shambhav संभव ।


हवा के साथ उड़ती हुई धूल जोकि इतनी आम चीज है कि जिस पर हम इतना गौर ही नहीं करते, असल में यह इतनी भी साधारण सी चीज नहीं है।


धूल का अपना अलग ही महत्व होता है। धरती की जलवायु प्रणाली में इसकी अपनी अलग ही उपयोगिता है।


तो आइए जानते हैं की धूल क्या है?

धूल की उपयोगिता क्या है?

हमारे जलवायु पर धूल किस प्रकार प्रभाव डालती है?


धूल क्या है ?


धूल पदार्थ के महीन कणों को कहते हैं।


प्रत्येक ठोस पदार्थ बहुत ही सूक्ष्म कणों से मिलकर बनता है। जब पदार्थ के यह छोटे-छोटे कण बिखर जाते हैं तब धूल का रूप ले लेते हैं।


उदाहरण के लिए यदि हम ईट या पत्थर को तोड़ते हैं तो ये छोटे-छोटे कणों का रूप धारण कर लेता है, यही कण जब हवा में उड़ने लगते हैं तब धूल कहलाते हैं।


धूल बनने के कई कारण होते हैं जैसे -

  • ठोस वस्तुओं के टूटने से,
  • कोयला, लकड़ी, पेट्रोल आदि के जलने से निकला हुआ धुँआ,
  • ज्वालामुखी से निकलने वाला लावा,
  • धरती के पर्त पर जमी मिट्टी,
  • मनुष्य एवं पशुओं के बाल और त्वचा के अंश,
  • वस्त्रों के रेशों, फूलों के पराग आदि  सभी धूल को जन्म देते हैं और हवा के कारण धूल के कण एक स्थान से दूसरे स्थान तक उड़ते रहते हैं।


धूल की उपयोगिता


हमारे वायुमंडल में दो प्रकार की धूल होती है-

  1. पहली बारीक या महीन कणों वाली धूल और
  2. दूसरी मोटे कणों वाली धूल।


वैज्ञानिकों के अनुसार दुनिया भर में करीब 1.7 करोड़ मीट्रिक टन धूल के मोटे कण मौजूद हैं।


महीन कणों वाली धूल जल्द ठंडी हो जाती है क्योंकि वह सूर्य की रोशनी को बिखेर देती है।


जबकि मोटे कणों वाली धूल वातावरण को गर्म कर देती है क्योंकि मोटे कणो वाली धूल सूर्य से आने वाले और पृथ्वी की सतह से वापस लौटने वाले विकिरण दोनों को ही अवशोषित कर लेती हैं।


हमारे वायुमंडल में उपस्थित धूल के कण सूर्य की किरणों को चारों ओर परावर्तित करते हैं जिसके कारण ही सूर्य के अस्त होने के पश्चात भी एक-दो घंटे तक एकदम अंधेरा नहीं होता।


सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूरज का लाल दिखना, सायंकाल में सूर्य की सुंदर किरणों का दिखाई देना, यह सब धूल के कण और वाष्प के कारण ही होता है।


जलवायु पर धूल का प्रभाव


धूल कणों का सबसे बड़ा उपयोग वर्षा से संबंधित है। धूल के कण सूर्य की किरणों और बादलों को भी प्रभावित करते हैं।


बादलों में जो जलवाष्प होती है वह धूल कणों के कारण ही बूंदों का रूप ले पाती है। धूल कणों पर जलवाष्प पानी के रूप में जमा हो जाती है और फिर वर्षा के रूप में हमारी धरती को जीवनदान देती है।


यदि धूल कण ना हो तब जलवाष्प से बूंदे बनना बहुत मुश्किल है।


धूल के कण काफी समय तक वातावरण में मौजूद रहते हैं जो हवा के कारण एक स्थान से दूसरे स्थान तक उड़ते रहते हैं। धुंध, कोहरा आदि धूल कणों के कारण ही बन पाते हैं।


जो धूल के कण आंख में पड़ जाने पर समस्या के रूप में दिखते हैं वही धूल कण हमारे लिए काफी उपयोगी भी हैं।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ