राष्ट्रीय युवा दिवस,12 जनवरी,National Youth Day, संभव, shambhav, शाम्भवी पाण्डेय
राष्ट्रीय युवा दिवस,12 जनवरी
'आंखों में वैभव के सपने,पग में तूफानों की गति हो', ऐसी ही उद्दाम आकांक्षाओं ,ह्रदय में उड़ते ज्वार और आसमान को मुट्ठी में भर लेने की चाह का नाम है युवा ।
भारत देश की अधिकतर आबादी युवाओं की है। कहा जाता है कि किसी भी देश का भविष्य उस देश के युवाओं पर, उनकी सोच पर निर्भर करता है।
राष्ट्रीय युवा दिवस क्यों मनाया जाता है ?
स्वामी विवेकानंद अपने विचारों और अपने आदर्शों के लिए पूरे दुनिया में जाने जाते हैं, जिन्होंने बहुत ही कम उम्र में अपने विचारों के कारण पूरी दुनिया में स्वयं का और भारत देश का एक अलग ही स्थान स्थापित किया।
स्वामी विवेकानंद का जीवन-दर्शन एवं उनके किए गए कार्य के पश्चात निहित उनका आदर्श भारतीय युवाओं के लिए बहुत बड़ा प्रेरणा स्रोत है।
स्वामी विवेकानंद के विचारों से देश के युवाओं को सही मार्ग मिल सके इसी विचार से भारत सरकार ने 1984 में 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस मनाने की तिथि घोषित की थी।
वर्ष 1985 से प्रत्येक वर्ष भारत में 12 जनवरी यानी स्वामी विवेकानंद जी का जन्म तिथि भारत में राष्ट्रीय युवा दिवस के रुप में मनाया जाता है ।
युवा की ताकत:
युवावस्था मानव जीवन का वसंतकाल है ।
युवावस्था 16 से 25 वर्ष तक हाड़ चाम के संदूक में संसार भर के हाहाकारों को समेटकर विधाता बंद कर देता है। युवावस्था देखने में तो शस्यश्यामला वसुंधरा से भी सुंदर है, पर इसके अंदर भूकंप की सी भयंकरता भरी हुई है ।
इसीलिए युवावस्था में मनुष्य के लिए केवल दो ही मार्ग हैं -या तो वह चढ सकता है उन्नति के सर्वोच्च शिखर पर या वह गिर सकता है अंधः पात के अंधेरे खंडक में । चाहे तो त्यागी हो सकता है युवक, चाहे तो विलासी बन सकता है युवक । वह देवता बन सकता है, तो पिशाच भी बन सकता है । वही संसार को त्रस्त कर सकता है, वही संसार को अभयदान दे सकता है । संसार में युवक का ही साम्राज्य है ।
युवक के कीर्तिमान से संसार का इतिहास भरा पड़ा है । अगर किसी विशाल ह्रदय की आवश्यकता हो, तो युवकों के ह्रदय को टटोलो । अगर किसी आत्मत्यागी वीर की चाह हो, तो युवकों से मांगो । रसिकता उसी के बाटे पड़ी है । भावुकता पर उसी का सिक्का है । वह छंदःशास्त्र से अनभिज्ञ होने पर भी प्रतिभाशाली कवि है । वह रसों की परिभाषा नहीं जानता,पर वह कविता का सच्चा मर्मज्ञ है ।
सृष्टि की विषम समस्या है युवक । ईश्वरीय रचना कौशल का एक उत्कृष्ट नमूना है युवक । विचित्र है उसका जीवन । अद्भुत है उसका साहस । अमोघ है उसका उत्साह ।
राष्ट्रीय युवा दिवस का उद्देश्य :
हाथ में मोबाइल और कंधे पर लैपटॉप लटकाए तेजी से अपने गंतव्य की ओर बढ़ते नौजवान आज मानो आधुनिक युग के प्रतीक बन गए हैं, लेकिन यह भी ध्यान रखना होगा कि आधुनिकता का अर्थ कपड़ों, खानपान,उपयोग किए जा रहे उपकरणों,जीवन शैली में आए बदलाव और फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने से नहीं है, बल्कि
आधुनिकता तो वैचारिक अधिष्ठान पर खड़ा एक बिम्ब है जो जीवन को निरंतर गति, विस्तार व ऊर्जा प्रदान करता है, न कि उसे जड़ बनाकर सीमित दायरे में कैद करता है । जीवन का अर्थ केवल 'खाओ-पियो-मौज करो'के दर्शन तक सीमित नहीं है ।
स्वामी विवेकानंद,जिनके जन्मदिवस को भारत में राष्ट्रीय युवा दिवस के रुप में मनाया जाता है, और पूरे विश्व में जिन्होंने भारतीय संस्कृति, जीवन दर्शन और गौरव की दुंदुभि बजाई, सारा यूरोप उनके चरणों पर लोट-पोट हो गया, ने युवावस्था को अनुपम उपहार बताते हुए उसकी ऐसी ही सार्थकता बताई है।
यहां पढ़े -स्वामी विवेकानंद जी की प्रासंगिकता
0 टिप्पणियाँ
कृपया अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें। जिससे हम लेख की गुणवत्ता बढ़ा सकें।
धन्यवाद