23 जनवरी, पराक्रम दिवस,क्या है ,उद्देश्य ,कब ,सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जयन्ती,Valour Day, संभव, शाम्भवी पाण्डेय
पराक्रम दिवस क्या है और आज ही के दिन क्यों मनाया जाता है?
महान स्वतंत्रता सेनानी और भारत माता के सच्चे सपूत नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर कोटि-कोटि नमन। देश की आजादी के लिए उनके बलिदान और समर्पण को देश हमेशा याद रखेगा। # पराक्रम दिवस -श्री नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री
पराक्रम दिवस-
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी सदैव ही स्वतंत्रता सेनानियों को उचित तरीके से सम्मानित करने के लिए निरंतर प्रयासरत रहे हैं ।
इन प्रयासों के तहत उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती को 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाने का निर्णय लिया है ।
नेताजी के अदम्य साहस और देशप्रेम के प्रति किए गए उनके वीरता पूर्ण कार्य के लिए उनका सम्मान करने एवं उन्हें याद करने के लिए भारत सरकार ने प्रत्येक वर्ष 23 जनवरी को उनका जन्मदिन 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाने का निर्णय लिया है ।
गणतंत्र दिवस समारोह की शुरुआत अब 23 जनवरी से की जाएगी |
संस्कृति मंत्रालय ने अपनी अधिसूचना में लिखा है ,
भारत के लोग नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती वर्ष में इस महान राष्ट्र के लिए उनके अतुल्य योगदान को याद करते हैं, भारत सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती 23 जनवरी 2021 से ही आरंभ करने का निर्णय लिया है ताकि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनका सत्कार किया जा सके ।
पराक्रम दिवस मनाने का उद्देश्य ?
पराक्रम दिवस मनाने का उद्देश्य देश के लोगों विशेषकर युवा वर्ग में निर्णायक विचार, साहस और राष्ट्रीयता की भावना विकसित करना, साथ ही उनमें विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के लिए प्रेरणा का भी विकास करना है ।
नेताजी की अदम्य भावना और राष्ट्र के लिए निस्वार्थ सेवा को सम्मानित करने और याद रखने के लिए, भारत सरकार ने इस देश के लोगों, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने के लिए हर साल जनवरी के दिन उनके जन्मदिन को 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाने का फैसला किया है।
नेताजी की तरह विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के लिए दृढ़ता के साथ कार्य करना और उनमें देशभक्ति की भावना का संचार करना।
- भारत सरकार
पृष्टभूमि-
सुभाष चंद्र बोस के परिवार और फॉरवर्ड ब्लाक पार्टी के सदस्यों ने भारत सरकार से नेताजी जयंती को देश प्रेम दिवस और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे देश नायक दिवस (राष्ट्रीय नायक का दिन) और राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने की मांग की थी ।
लेकिन 19 जनवरी 2021 को, सरकार ने घोषणा की है कि इसे हर साल पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
राष्ट्र के रूप में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती समारोह शुरू होने पर उन्हें श्रद्धांजलि। उनके असीम साहस और वीरता का सम्मान करने के लिए इस दिन को "पराक्रम दिवस" के रूप में मनाना उचित है। नेताजी ने अपने अनगिनत अनुयायियों में राष्ट्रवाद का जोश भर दिया।" - राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद
कार्यक्रम -
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी के अपार योगदान को ध्यान में रखते हुए उन्हें श्रद्धांजलि रूप में 125 वी जयंती पर साल भर चलने वाले समारोह के रूप में सरकार ने इंडिया गेट पर नेताजी की ग्रेनाइट से बनी एक भव्य प्रतिमा लगाने का निर्णय लिया है ।
प्रतिमा का काम पूर्ण होने तक इंडिया गेट पर ठीक उसी स्थान पर नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा लगाई जाएगी, जिसका अनावरण प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी 23 जनवरी 2022 को शाम 6:00 बजे करेंगे । यह
होलोग्राम प्रतिमा 28 फीट ऊंची और 6 फीट चौड़ी होगी ।
इस कार्यक्रम के दौरान ही प्रधानमंत्री वर्ष 2019 से 2022 तक के लिए 'सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार'भी प्रदान करेंगे ।
सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार-
इस समारोह में कुल 7 पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे । इस पुरस्कार समारोह का उद्देश्य -
भारत में विभिन्न क्षेत्र में विभिन्न व्यक्तियों और संगठनों द्वारा प्रदान किए गए उनके अमूल्य योगदान एवं निस्वार्थ सेवा भाव की सराहना करना, साथ ही इसके लिए उन्हें सम्मानित करना है ।
इस पुरस्कार के तहत किसी व्यक्ति के मामले में उस व्यक्ति को 5 लाख रुपए नकद पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र तथा किसी संस्था के मामले में उसे 51 लाख रुपए एवं प्रमाण पत्र दिया जाएगा ।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस एक संक्षिप्त परिचय-
देश के स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए योद्धाओं में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम शीर्ष पर आता है । नेताजी एक ऐसे भारतीय राष्ट्रवादी चेहरे के रूप में उभरे जिसकी उत्कृष्ठ देशभक्ति ने उन्हें भारत में एक नायक बना दिया ।
तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा ।
वे भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सबसे बड़े नेता थे । द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए जापान के सहयोग से 'आजाद हिंद फौज' का गठन किया था ।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा दिया गया 'जय हिन्द' का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा है । नेताजी सुभाष चंद्र बोस के द्वारा ही महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता की उपाधि दी गई थी और राष्ट्रीय आंदोलन में उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए रेडियो से उन्हें राष्ट्रपिता कह कर संबोधित किया था |
उनका मानना था कि -
किसी राष्ट्र के लिए स्वाधीनता सर्वोपरि है ।
जन्म ,पृष्टभूमि-
लाखों युवाओं को आजादी के संघर्ष में शामिल होने के लिए प्रेरित करने वाले, स्वाभिमान और साहस की भावना से ओत-प्रोत, महान राजनीतिक और बुद्धिजीवी नेता सुभाष चन्द्र बोस जी का जन्म 23 जनवरी 1897 में ओडिशा के कुट्टक गांव में एक संभ्रांत परिवार में था । इनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माता का नाम प्रभावती दत्त बोस था ।
आज भी युवा वर्ग में विचारों की कोई कमी नहीं है परंतु इन विचारों को सही दिशा और गति देने के लिए एक आदर्श मॉडल का होना बहुत जरूरी है, जो इन विचारों को विद्युत की भांति हमारे अंदर आदर्श, शक्ति, कार्ययोजना को मूर्त रूप दे सकने में सक्षम हो और इसके लिए हर प्रकार से समर्थ वह चेहरा है नेताजी सुभाष चंद्र बोस का ।
0 टिप्पणियाँ
कृपया अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें। जिससे हम लेख की गुणवत्ता बढ़ा सकें।
धन्यवाद