बसंत पंचमी 2025,Basant Panchami,कब,क्यों और पीले रंग का महत्व,shambhav, संभव, शाम्भवी पाण्डेय
हमारा देश एक ऐसा देश है जहां पूरे वर्ष का वातावरण 6 ऋतुओं से मिलकर बना है,जिसमें बसंत ऋतु,ग्रीष्म ऋतु,वर्षा ऋतु,शरद ऋतु, हेमंत ऋतु और शिशिर ऋतु शामिल है।
इन सभी ऋतुओं में से बसंत ऋतु को सभी ऋतुओं का राजा माना जाता है क्योंकि इस ऋतु में खेतों में फसलें लहलहा उठती हैं,सरसों के पीले-पीले फूल ऐसे शोभा बढ़ाते हैं मानो धरती पर फसलें सोना उगा रही हैं।
बसंत पंचमी कब मनाई जाती है ?
बसंत पंचमी को ज्ञान पंचमी और श्री पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन से वसंत ऋतु का प्रारंभ होता है।
यह त्यौहार हिंदी पंचांग के अनुसार माघ के महीने में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है।
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह दिवस जनवरी (अंतिम)- फरवरी (शुरुआत) माह में मनाया जाता है।
बसंत पंचमी क्यों मनाते है ?
हिंदू मान्यताओं के अनुसार बसंत पंचमी के दिन विद्या, कला और संगीत की देवी मां सरस्वती का जन्मदिवस माना जाता है।
इसीलिए बसंत पंचमी बुद्धि और समृद्धि की देवी मां सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
इसके साथ ही भारत देश में कई ऐसे त्यौहार मनाए जाते हैं जो एक उत्सव के साथ-साथ पर्यावरण में आने वाले बदलाव के सूचक भी होते हैं। बसंत पंचमी भी उन्हीं त्यौहार में से एक त्यौहार है।
इस दिन से प्राकृतिक रूप में भी बदलाव शुरू होता है। पतझड़ का मौसम खत्म होकर हरियाली का प्रारंभ होता है,फूलों पर बहार आ जाती है,खेतों में सरसों के फूल,गेहूं की बालियां खिलने लगती हैं,आम के पेड़ों पर बौर लगने की शुरुआत हो जाती है। इसके साथ ही साथ यह ऋतु सर्दी के मौसम से ग्रीष्म ऋतु की ओर परिवर्तन का एक संकेत भी है।
बसंत पंचमी का त्यौहार कैसे मनाया जाता है ?
बसंत ऋतु का स्वागत माघ महीने की पंचम तिथि को एक बड़े उत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह त्यौहार पूरे देश में विशेषकर देश के उत्तरी भागों में विशेष रूप से मनाया जाता है। पूरे भारत में सभी घरों में,सभी शिक्षण संस्थानों में सरस्वती पूजा की धूम रहती है।
जगह-जगह पर पंडाल बनाकर विद्या की देवी मां सरस्वती की बड़ी-बड़ी मूर्तियां बिठाई जाती हैं और पूरे रीति-रिवाजों से विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। इसके साथ ही बसंत मेला एवं भोज का आयोजन भी किया जाता है।
बसंत पंचमी का क्या महत्व है ?
बसंत पंचमी का त्यौहार पूरे भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। बसंत ऋतु को सभी ऋृतुओं का राजा माना जाता है क्योंकि इस समय पर्यावरण में दिखने वाले परिवर्तन पतझड़ से हरियाली की ओर अग्रसर करते हैं।
ज्ञान की देवी मां शारदे की जन्म दिवस उत्सव के रूप में मनाया जाने वाला यह त्यौहार सरस्वती मां की पूजा-अर्चना का,उनसे सद्बुद्धि-ज्ञान प्राप्ति की प्रार्थना का दिन होता है।
इस दिन से जुड़ी एक परंपरा यह भी है कि-
बसंत पंचमी के दिन को बच्चों की शिक्षा दीक्षा के आरंभ के लिए शुभ माना जाता है।
शिक्षा के साथ ही साथ छह माह पूरा कर चुके बच्चों के अन्नप्राशन के लिए तथा परिणय सूत्र में बंधने के लिए एवं अन्य सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों के लिए यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है।
यह दिन नए कार्यों की शुरुआत के लिए बहुत ही शुभ दिन होता है।
बसंत पंचमी के दिन का महत्व कलाकारों में (चाहे वह लेखनी से जुड़े हो या गायकी से, नाट्य से जुड़े हो या नृत्य से) विशेष रूप से देखा जाता है।
जिस प्रकार विजयदशमी के दिन सैनिक अपने शस्त्रों की पूजा करते हैं,विश्वकर्मा पूजा के दिन सभी कारखानों में पूजा होती है,दीपावली के दिन धन-प्राप्ति की पूजा होती है ठीक उसी प्रकार बसंत पंचमी के दिन सभी कलाकार अपने उपकरणों की पूजा, मां सरस्वती का वंदन करते हैं।
बसंत पंचमी में पीले रंग का महत्व क्यों है ?
बसंत ऋतु की शुरुआत को प्रदर्शित करने वाला बसंत पंचमी का यह त्यौहार कई मायनों में खास होता है। इस त्यौहार में पीला रंग एक गहरा महत्व रखता है। तो आइए जानते हैं इस दिन लोग विशेष रूप से पीले रंग का ( पीले रंग के कपड़े, व्यंजन) प्रयोग क्यों करते हैं ?
बसंत का रंग पीला है,जिसका मूल सरसों के खेतों को माना जाता है। इस समय सरसों के पीले फूल खेतों में लहलहाते हुए धरती की शोभा ऐसे बढ़ाते हैं जैसे धरती फसलों के रूप में सोना उगा रही है।
पीले रंग का आध्यात्मिक महत्व :
पीला रंग अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है जो कि प्रकाश,ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक है।
यह रंग संतुलन और एकाग्रता प्रदान करता है।
पीले रंग का प्रयोग पूजा-पाठ एवं सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों में किया जाता है।
पीला रंग बृहस्पति ग्रह का भी प्रतिनिधित्व करता है जो कि शिक्षा के क्षेत्र में गुरु ग्रह को मजबूत करता है।
पीले रंग का वैज्ञानिक महत्व :
विज्ञान की भाषा में पीले रंग के उपयोग से हमारे रक्त में उपस्थित लाल एवं श्वेत रक्त कणिकाओं का विकास होता है अर्थात हीमोग्लोबिन बढ़ता है, जिससे रक्त संचार बढ़ता है और थकान दूर होती है। जिससे हमारे मन की नेगेटिविटी दूर होकर पॉजिटिविटी बढ़ती है।
यही कारण है कि बसंत ऋतु विशेषकर बसंत पंचमी के दिन लोग पीले रंग के वस्त्र पहनते हैं और पीले रंग से अपने घरों को, मां सरस्वती के मंडप आदि सजाते हैं और पीले रंग की वेशभूषा में पारंपरिक व्यंजन बनाते हैं तथा ज्ञान एवं समृद्धि के इस त्यौहार को बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं।
3 टिप्पणियाँ
Happy basant panchami very nice
जवाब देंहटाएंHappy basant panchami
हटाएंVery nice happy basant panchami
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धन्यवाद