सरस्वती वंदना,Saraswati Vandana, बसंत पंचमी, संभव, shambhav, शाम्भवी पाण्डेय
घर घर विराजी ज्ञान की देवी
करने अलौकिक जग सारा,
वीणा वादिनी पुस्तक धारिणी
कण्ठ पर साजे पुष्प माला ।
श्वेत कमल तेरा आसन सुसज्जित
सतज्ञान रूपी जल धारा,
स्वान जहां की शोभा बढ़ाएं
चरण कमल में वंदन हमारा ॥
ज्योर्तिमय ज्ञान का दीपक
मिटाएं अज्ञान का अधियारा,
शील हृदय,पराक्रम हो अद्भुत
माँ कर दो ऐसा उजियारा ।
वेद मंत्र और संगीत के सुर से
इस जगत को तुने ही सॅवारा,
मेरी लेखनी है प्रेरणा माँ तेरी
मुझे मिले अब आशीष तुम्हारा ॥
यहां पढ़ें: बसंत पंचमी एवं सरस्वती पूजा
- शाम्भवी पाण्डेय
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