अंतरराष्ट्रीय वन दिवस 2022 कब,कैसे,थीम, international forest day, संभव, शाम्भवी पाण्डेय
पेड़ हमारे जीवन के अस्तित्व का आधार है। जब तक पृथ्वी पर पेड़ मौजूद रहेंगे, तभी तक सभी सजीवों का अस्तित्व रहेगा।
संकट की घड़ी में ऑक्सीजन कितना मायने रखता है, यह सबको समझ आ गया होगा। इसलिए हमें पेड़ों की अच्छे से देखभाल करनी चाहिए।
"इसलिए पेड़ जरूर लगाएं" |
अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस:
हर साल दुनिया भर में 21 मार्च का दिन सभी तरह के वनों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश से अंतरराष्ट्रीय वन दिवस (International Day of Forests) के रूप में मनाया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस, संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) पर सरकारों, वन पर सहयोगात्मक साझेदारी और क्षेत्र में अन्य संबंधित संगठनों के साथ साझेदारी में आयोजित किया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस 2022 की थीम:
वन कुदरत का हम समस्त जीवों को दिया गया एक उपहार है जो हमें जीवन के लिए जरूरी ऑक्सीजन देते हैं।
हर साल अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस,वनों का संरक्षण करने के लिए एक निर्धारित विषय पर आयोजित किया जाता है। इस साल के अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस की थीम 'वन और जैव विविधता' 'Forests and Biodiversity' है।
एक पेड सोचता होगा कि हमने जीवन भर इंसानों को खूब फल, फूल, लकड़ियां, धूप से बचाने के लिए छांय और सबसे महत्वपूर्ण जीवन जीने के लिए ऑक्सीजन दी। जिसके बिना इंसान जीवित नहीं रह सकते, हमने पृथ्वी को हरा-भरा बनाए रखा, पृथ्वी के बातावरण में घुली जहरीली गैसों को भी साफ किया फिर भी इंसानों ने अपने थोड़े से स्वार्थ के लिए हमें काट दिया।
पर मेरी सोच गलत थी. कि जानवर हमें खा जाएंगे और में जानवरों से डरता था लेकिन बड़े होने पर समझ में आया कि हमें जानवरों से नहीं इंसानों से खतरा है।
अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस कैसे मनाएं ?
वायुमंडल से कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड अन्य कई जहरीली गैसों को अवशोषित कर धरती पर रह रहे असंख्य जीवधारियों को प्राणवायु 'ऑक्सीजन' देने वाले वन वर्तमान समय में खुद अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
धरती को जलवायु संकट से बचाने के लिए यदि प्रत्येक मनुष्य 1-1 पेड़ लगाए तो पृथ्वी को फिर से हरा-भरा बनाया जा सकता है।
पीपल का पेड़:
(Tree of enlightment):
पीपल के पेड़ को बोधी ट्री के नाम से भी जाना जाता है। भगवान गौतम बुद्ध को पीपल के पेड़ के नीचे ही ज्ञान प्राप्त हुआ जिन्होंने बोद्ध धर्म की स्थापना की। ऋषि मुनि, साधु संत भी पीपल के पेड़ के - नीचे बैठ कर साधना करते थे।
बरगद का पेड़:
(Tree of life):
बरगद के पेड़ को जीवनदाता भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि बरगद के पेड़ के पास काफी शक्तियां होती है। विवाहित महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा संतान की प्राप्ति के लिए करती हैं।
आम का पेड़:
(Love and fertility):
आम का पेड़, फल देने के साथ-साथ जलावन एवं व्यावसायिक कार्यों के लिए लकड़ी भी देता है। इसे फलों का राजा भी कहा जाता है।
नारियल का पेड़:
(Ceremonial food):
नारियल को हर पूजा तथा शुभ अवसर पर इस्तेमाल किया जाता है। हर शुभ अवसर की शुरुआत नारियल को फोड़कर की जाती है। इसे दवाइयों के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है।
नीम का पेड़:
(Tree of healing):
नीम के पेड़ का इस्तेमाल दवाइयां बनाने में किया जाता है। साथ ही नीम की पत्तियों का इस्तेमाल जल जाने पर, कान व दांत के दर्द एवं फोड़े एवं दूसरे जख्मों पर लगाये जाने के लिए किया जाता है।
सीता अशोक:
(Associated with Kamadeva or the god of love):
अशोक के पेड़ को लोक संतान की प्राप्ति के लिए मानतें हैं और कहा जाता है कि गौतम बुद्ध का जन्म अशोक पेड़ की नीचे ही हुआ था ।
"वन संरक्षण प्रत्येक मनुष्य की जिम्मेदारी है।"
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