द्रौपदी मुर्मू , द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय, राजनीतिक जीवन, Biography, द्रौपदी मुर्मू कौन है?शिक्षा, परिवार, भारत के 15 वें राष्ट्रपति।(Draupadi Murmu, life style, political life, struggle, education, family, Indian President) ।
Millions of people, especially those who have experienced poverty and faced hardships, derive great strength from the life of Smt. Droupadi Murmu Ji. Her understanding of policy matters and compassionate nature will greatly benefit our country.
-प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी |
द्रौपदी मुर्मू का नाम आदिवासियों के हित की चिंता करने वाली बेहद सजग महिलाओं में शुमार है।
द्रौपदी मुर्मू आज एक ऐसा चेहरा बनकर समाज के सामने खड़ा है जो न जाने कितने गरीब, जीवन के संघर्षों में लगे व्यक्ति और विशेषकर महिलाओं को प्रेरणा एवं ताकत देगा।
भारत देश के 15 में राष्ट्रपति पद पर पदस्थ माननीय द्रौपदी मुर्मू जी को आज कौन नहीं जानता। अगर उनके निजी जिंदगी की बात करें तो वह काफी दुखों संघर्षों और समर्पण से भरी रही है। पति और दो बच्चों की मौत के बाद उनकी जिंदगी काफी संघर्षों से भरी रही है।
भारत के 15 वें राष्ट्रपति के बारे में कुछ ऐसे तथ्य हैं जिन्हें आपको जानना चाहिए:
राष्ट्रपति पद पर पदस्थ माननीय द्रौपदी मुर्मू के लिए रायरंगपुर से रायसीना हिल्स (राष्ट्रपति भवन) तक पहुंचने का सफर आसान नहीं रहा। शुरुआत से ही उनका जीवन संघर्षों से भरा रहा। वे झारखंड में सर्वाधिक समय तक राज्यपाल रहीं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्म इस सर्वोच्च पद पर पहुंचने वाली पहली राष्ट्रपति हैं, जिनका जन्म आजादी के बाद हुआ है।
- उन्होंने झारखंड में सीएनटी-एसपीटी संशोधन सहित कई विधेयकों को लौटाया।
- चांसलर पोर्टल पर सभी कॉलेजों के लिए एक साथ ऑनलाइन नामांकन शुरू कराया।
द्रौपदी मूर्मू को झारखंड में सबसे लंबी अवधि तक राज्यपाल रहने का गौरव हासिल है।
झारखंड में द्रौपदी मुर्मू का छह साल से अधिक का कार्यकाल विवादों से परे रहा। द्रौपदी मुर्मू झारखंड की एकमात्र राज्यपाल रहीं, जिन्होंने पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा किया। हालांकि वे पांच वर्ष का कार्यकाल खत्म होने के बाद भी राज्यपाल पद पर बनी रहीं। उनका कार्यकाल 17 मई 2021 को समाप्त हो गया।
द्रौपदी मुर्मू का व्यक्तिगत जीवन:
द्रौपदी मुर्मू का जन्म ओडिशा के मयूरभंज जिले में रायरंगपुर से करीब 25 किलोमीटर दूर उपरबेड़ा गांव में एक संथाल परिवार में 20 जून 1958 को हुआ। उनका लालन पालन एक आदिवासी परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम बिरंचि नारायण टुडु था। उनके दादा और उनके पिता दोनों ही उनके गाँव के प्रधान रहे । उन्होंने रामादेवी महिला कालेज भुवनेश्वर से स्नातक किया।
उन्होंने श्याम चरण मुर्मू से विवाह किया। उनके दो बेटे और एक बेटी हुए। दुर्भाग्यवश दोनों बेटों और उनके पति तीनों की अलग-अलग समय पर अकाल मृत्यु हो गयी। उनकी पुत्री विवाहिता हैं और भुवनेश्वर में रहतीं हैं।
द्रौपदी मुर्मू की जिंदगी संघर्ष, दुखों और समर्पण से भरी रही है। उन्होंने पति और दो बेटों की मौत के बाद जिंदगी में काफी संघर्ष किया। द्रौपदी मुर्मू ने अपने ससुराल की जमीन एक स्कूल के नाम कर दिया है, जिसमें अब हास्टल बने हुए हैं।और बच्चों की शिक्षा को समर्पित है |
द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक जीवन:
द्रौपदी मुर्मू ने एक शिक्षक के रूप में शुरुआत की और उन्होंने सिंचाई विभाग में एक कनिष्ठ सहायक के रूप में भी काम किया है।
फिर वर्ष 1997 में ओडिशा की राजनीति में प्रवेश किया।
अपने शुरुआती दिनों के दौरान उन्हें 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद के रूप में भी चुना गया था।
भाजपा के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करने के बाद, वह 2000 और 2009 में रायरंगपुर निर्वाचन क्षेत्र से दो बार विधायक चुनी गईं।
ओडिशा में बीजेडी और भाजपा गठबंधन सरकार के दौरान, उन्होंने 2000 और 2004 के बीच वाणिज्य और परिवहन और बाद में मत्स्य और पशु संसाधन विभाग में मंत्री के रूप में कार्य किया।
उन्हें
ओडिशा की विधान सभा द्वारा 2007 के सर्वश्रेष्ठ विधायक होने के लिए नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
64 वर्षीय सुश्री मुर्मू 2017 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले इस पद के प्रबल दावेदार थी। लेकिन इस मौके पर बिहार के तत्कालीन राज्यपाल राम नाथ कोविंद, जो कि एक दलित थे, को इस पद के लिए सरकार की पसंद के रूप में नामित किया गया था।
लाखों लोग, विशेष रूप से वे जिन्होंने गरीबी का अनुभव किया है और कठिनाइयों का सामना किया है, श्रीमती के जीवन से बहुत ताकत मिलती है। द्रौपदी मुर्मू जी नीतिगत मामलों की उनकी समझ और दयालु स्वभाव से हमारे देश को बहुत लाभ होगा ।
1 टिप्पणियाँ
Good 👍👍
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