Hindu law,( हिन्दू लॉ क्या है, हिन्दू लॉ कहां से लिया गया है),संभव,शाम्भवी पाण्डेय

Hindu law,( हिन्दू लॉ क्या है, हिन्दू लॉ कहां से लिया गया है),संभव,शाम्भवी पाण्डेय


Hindu law,हिंदू लॉ क्या है, हिन्दू लॉ कहां से लिया गया है


नियम-कानून से जुड़ी बातें तो हम सभी सुनते ही रहते हैं पर क्या आप जानते हैं हमारे धर्मों में भी लॉ है, हिंदू धर्म से जुड़ा हिंदू लॉ,मुस्लिम धर्म से जुड़ा मुस्लिम लॉ ?


आज के अपने इस लेख में हम जानेंगे कि हिंदू कानून क्या है, इसका स्वरूप क्या है ?


हिंदू लॉ क्या है :


हिंदू लॉ का मतलब विभिन्न प्रकार के सामाजिक, आर्थिक व नैतिक नियमों एवं रीतियों से है जो हमारे वेदों, पुराणों, स्मृतियों में उपलब्ध है । वे नियम जिनका पालन बहुत ही पुराने समय से राजाओं, महाराजाओं के द्वारा स्वयं भी किया जा रहा है एवं हमारा समाज भी करता चला आ रहा है ।

                     
Hindu law, संभव, शाम्भवी पाण्डेय


मेन के अनुसार - 'हिंदू विधि स्मृतियों की विधि है जैसा कि स्मृति टीकाओं एवं निबंधों में विस्तृत रूप से उल्लेखित है तथा जिनमें न्यायालयों द्वारा अन्य नीतियों एवं प्रज्ञा द्वारा संशोधन तथा परिवर्धन किया गया है ।'


हिंदू लॉ धर्म की एक शाखा है जो मनुष्य के नैतिक आचार-विचार, सामाजिक, धार्मिक तथा विभिन्न कर्तव्य की विवेचना करता है ।


हिंदू लॉ किसी राजाओं - महाराजाओं के द्वारा दिया गया कोई आदेश नहीं है बल्कि यह तो स्वयं राजाओं के पालन करने और उन नियमों का अपने समाज से पालन करवाने का एक अधिकार है एक स्वरूप है |


हिन्दू लॉ कहां से लिया गया है :


हिंदू लॉ हिंदुओं के विश्वास पर आधारित है । इसे ईश्वर से उत्पन्न हुई विधि मानते हैं, इनके कानून का स्रोत दैवी शक्तियों पर आधारित है ।

प्राचीन काल से ही वेदों पर आधारित बातें ही ईश्वर की वाणी मानकर स्वीकार की जाती थी । वेदों के ज्ञाताओं ऋषियों- महर्षियों आदि का मानना था कि ईश्वर द्वारा निर्देशित मार्ग ही उनके पालन करने योग्य है ।


प्राचीन काल में भी हमारे पास कोई ऐसी वस्तु नहीं थी जिसे यह कहा जा सके कि यह हमारे नियम है, हमारे कानून है ।यह किसी राजा - महाराजा द्वारा दिया गया कोई आदेश नहीं होता था लेकिन प्रत्येक व्यक्ति जो भी हमारे समाज की व्यवस्था से परिचित है उसे यह मानना पड़ेगा कि देश के वास्तविक शासक विधि व्यक्ता विद्वान ब्राह्मण हुआ करते थे और जब तक सर्वोच्च विधाई शक्ति ब्राह्मणों के हाथ में रही उनके द्वारा स्थापित आदेशों का पालन होता रहा है उसी को हम अपने नियम मानने लगे ।


हिंदू लॉ की संरचना भारतीय मनीषियों द्वारा निर्मित की गई थी जो मूल रुप से समाजशास्त्रीय थे तथा एक अनुशासित समाज में व्यक्ति के आचरण को नियमित करके लोक - कल्याण के उद्देश्य की पूर्ति करना चाहते थे ।


अनेकों विद्वानों के अथक परिश्रम और अनुसंधान के बाद यह बात सामने आई कुछ स्मृतियां भी तत्कालिक प्रथा पर आधारित थी तथा कुछ हिंदू राजाओं की विधि शास्त्रियों द्वारा बनाए गए नियमो पर आधारित थी ।


यह स्मृतियों की विधि है, जिसकी हमारे पुराणों, स्मरणों में इसकी व्याख्या की गई है, जिसे रिवाज द्वारा संशोधित और परिवर्धित किया गया है और जिसका न्यायालय द्वारा प्रयोग किया जाता है ।


Disclaimer- यह लेख पाठकों के सामान्य जानकारी के लिए है । अधिक जानकारी के लिए कृपया प्रमाणिक बुक एवं हिंदू विधि का अध्ययन करें। 

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