वट सावित्री व्रत 2022| प्रासंगिकता | महत्व |लाभ

वट सावित्री व्रत 2022| प्रासंगिकता, महत्व,लाभ व्रत परंपरा की प्रासंगिकता Vrat Parampara ki Prasangitka      


 


    बरगद के पेड़ की पूजा और वैज्ञानिक दृष्टि से महत्व-

    भारतीय संस्कृति में प्रकृति से प्राप्त प्रत्येक पदार्थ जैसे जलधारा, नदी ,पर्वत, पेड़ ,पशु आदि को विशेष महत्व देते हुए इन पदार्थों को पूजनीय मानकर उनकी सुरक्षा और संरक्षण की व्यवस्था की है | हमारे पूर्वजों ने प्रकृति को शक्तियों का केंद्र बताते हुए उन्हें देवता का स्थान दिया है |

    आज हम चर्चा करने जा रहे हैं बरगद के पेड़ की पूजा और वैज्ञानिक दृष्टि से महत्व की |

    वट सावित्री व्रत हिंदी माह  के जेष्ठ मास की अमावस्या

    को मनाया जाता है | यह  व्रत अखंड सौभाग्य प्राप्ति, और उत्तम स्वास्थ्य के लिए किया जाता है | इस दिन महिलाएं बरगद के वृक्ष की पूजा करती हैं |

    मान्यता के अनुसार

    इस पेड़ की छाल में भगवान विष्णु, जड़ों में  ब्रह्मा और शाखावो में भगवान शिव का वास है |

    वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी बरगद का पेड़ विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए उपयोग में आता  हैं |


    महिलाओं के लिए व्रत करने का शारीरिक लाभ क्या है ?


    व्रत करने का जितना लाभ आध्यात्मिक दृष्टि से है, उससे कहीं ज्यादा लाभ वैज्ञानिक दृष्टि से है | व्रत के पीछे की साइंस को अगर हम समझेंगे तो हम देखेंगे व्रत करने से हमें शारीरिक लाभ होता है |

     

    हम सभी को वर्क करने के लिए एनर्जी चाहिए, एनर्जी हमें भोजन से मिल जाती है जो हमारी बॉडी में ग्लूकोज एनर्जी से कीटोन एनर्जी के रूप में कन्वर्ट होती है | ग्लूकोज शरीर के लिए ईंधन की तरह होता है और फैटी एसिड टिश्यूज में ट्राईग्लिसराइड्स के रूप में जमा होती है जब हम व्रत करते हैं कई घंटों तक भूखे रहते हैं तो लिवर फैटी एसिड को कीटोन में बदल देता है जिससे हमारी बॉडी की सेल सक्रिय होती है जो बीमार सेल की रिपेयरिंग करते हैं |

    वर्तमान समय में intermediate fasting बहुत पॉपुलर है जो कहीं ना कहीं भारतीय उपवास पद्धति पर आधारित होकर उपवास के वैज्ञानिक महत्व को प्रमाणित करती है |


    बरगद के पेड़ का चिकित्सीय महत्व-


    बरगद के पेड़ का धार्मिक महत्व के साथ चिकित्सीय एवं वैज्ञानिक महत्व भी है जिसके कारण इसे राष्ट्रीय वृक्ष का महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है |

     

    बरगद के पेड़ की पत्तियां दिन में 21 घंटे से भी ज्यादा समय तक ऑक्सीजन का निर्माण करती है |

     

    इसके पत्ते और छाल  चोट, मोच, सूजन एवं विभिन्न शारीरिक बीमारियों को दूर करने का भी काम आते  है |

     

    वर्षा ऋतु में यह वृक्ष अपनी जड़ों से वर्षा का जल भी सर्वाधिक संरक्षित करते हैं |


    वट सावित्री व्रत की महिमा-


    हमारे सनातन हिंदू धर्म में स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु ,उत्तम स्वास्थ्य के लिए बहुत ही श्रद्धा और विश्वास के साथ तमाम व्रत करती हैं; जिसमें से एक है वट सावित्री व्रत | 

    इस व्रत का अत्यंत महत्व है जिसमें मान्यता है कि

    सावित्री ने अपने संकल्प और विश्वास से बरगद के वृक्ष के नीचे यमराज से प्रार्थना करके अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लिए थे |

     

    सुहागन महिलाएं इस व्रत को बड़े ही श्रद्धा और समर्पण के साथ अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए पति के उत्तम स्वास्थ्य के लिए एवं बेहतरीन वैवाहिक जीवन के लिए व्रत करती हैं और विधिवत पूजा करती हैं |


    व्रत परंपरा की प्रासंगिकता-

    भारतीय धर्म,अध्यात्म एवं समाज में उपवास एवं व्रत का बड़ा महत्व है |

    व्रत एक तरफ जहां परिवार के सदस्यों के बीच विशेषकर पति ,पत्नी और बच्चों के बीच आत्मिक संबंध बढ़ाने का कार्य करता है वहीं दूसरी तरफ व्रत का वैज्ञानिक महत्व भी है |


    उपवास, व्रत  करने से व्यक्ति में उसकी कार्यक्षमता बढती है | सेल्स के रिपेयरिंग सिस्टम के माध्यम से शरीर की बीमारियों को दूर करना एवं प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना आदि उपवास व्रत के अन्य लाभों में  शामिल है |


    आज के समय में intermediate fasting का बड़ा महत्व है इसमें सप्ताह में कम से कम 2 दिन उपवास करना या प्रत्येक दिन 16 घंटे का उपवास करना शामिल है | 


    सभी व्रत प्रकृति से जुड़े हुए हैं जिनके जिसके माध्यम से प्रकृति संरक्षण का भी संदेश दिया गया है |  प्रकृति और भारतीय संस्कृति में अन्नोयाश्रित संबंध है जिसके बारे में विस्तृत रूप से मेरे पूर्व के लेख " बच्चों को कैसे बनाएं पर्यावरण संवेदी " में बताया गया है|


    बच्चों को कैसे बनाएं पर्यावरण संवेदी लेख पढने के लिए यहाँ क्लिक करें 


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