07 माह से 12 माह तक के बच्चों की एक्टिविटी ,बचपन बच्चे उनका मनोविज्ञान श्रृंखला

बचपन बच्चे उनका मनोविज्ञान कि श्रृंखला में अब तक हम नवजात शिशु से जुड़े कई विषयों जैसे नवजात शिशु का पहनावा, उसका स्वास्थ्य,पोषण,शारीरिक विकास तथा उनसे जुड़ी चुनौतियों के बारे में चर्चा की है।

इस श्रृंखला में अब हम 07 माह से 12 माह तक के बच्चों की एक्टिविटी के बारे में चर्चा करेंगे।


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07 माह से 12 माह का बच्चा आपके चेहरे के एक्सप्रेशन समझने की कोशिश करता है। जब आप स्माइल करते हैं तो बेबी भी स्माइल देता है, जब आप साइलेंट होते हैं तो बेबी भी साइलेंट हो जाता है। इसके साथ ही साथ बच्चा घर के सभी सदस्य पिता, भाई, बहन, बाबा, दादी अन्य को भी पहचाना शुरू कर देता है।

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    छोटे बच्चे के साथ खेलना हर किसी को अच्छा लगता है। ऐसे में यह टाइम सबसे अच्छा टाइम होता है,छोटे बच्चे के साथ इंजॉय करने का।  बच्चों के साथ यह क्वालिटी टाइम इंजॉय करने के साथ ही साथ बच्चों की शारीरिक और मानसिक गतिविधियों को समझना भी जरूरी है कि बच्चे का विकास ठीक से हो रहा है या नहीं। साथ ही बच्चे अभी बोल नहीं सकते इसलिए उनकी भाव भंगिमा को समझकर ही उनकी बातों को समझा जा सकता है।


7 माह से 9 माह के बच्चे की गतिविधियां


अब बच्चा दोनों दिशाओं में करवट बदलना शुरू कर देता है। परिचित चेहरे या खिलौने को देखने के लिए सिर घुमाना, किसी वस्तु या खिलौने को पकड़ने के लिए सभी उंगलियों का प्रयोग करना आदि क्रियाएं बच्चा शुरू कर देता है। बच्चा अपना नाम भी पहचाने लगता है। हम देखते हैं कि अपना नाम बुलाए जाने पर बच्चा "उ" की प्रतिक्रिया देता है तथा आवाज की दिशा में देखता है। 


    बच्चों को वस्तुओं को बार-बार गिराना,फेंकना, पकड़ना अच्छा लगता है। लुका-छुपी का खेल सभी बच्चों का पसंदीदा खेल होता है और जब आप बच्चे के सामने खिलौने छुपाते हैं तो वह उसे ढूंढने की कोशिश करता है। अब बच्चा धीरे-धीरे दोनों हाथ और पैर से घसीटकर आगे बढ़ना शुरू करता है साथ ही सहारे के साथ बैठना भी सीखता है।


10 से 12 माह के बच्चे की गतिविधियां


10 माह का बच्चा, अपने पसंदीदा खिलौने तक पहुंचने के लिए किसी वस्तु से बिना टकराए घुटनों पर चलकर जाना सीख जाता है। 11 माह में बच्चा बिस्तर या कुर्सी पकड़कर खड़े होकर कुछ कदम चलने लगता है।


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    10 माह में बच्चा बिना सहायता के बैठना और बिना गिरे खिलौने को पकड़ना तथा एक या दो शब्द जैसे 'आओ' / 'नही' अपनी मातृभाषा में पहचानना सीख जाता है। साथ ही इन पर प्रतिक्रिया भी करता है। गोद में जाने के लिए हाथ बढ़ाना,ताली बजाना,टाटा करना, छोटी वस्तुएं डिब्बे या बर्तन में डालना और निकालना,धकेलने वाला खिलौना पकड़ के चलना यह सब भी बच्चा सीख जाता है।


     हर बच्चे का शारीरिक विकास कुछ अलग होता है, जैसे कुछ बच्चे 11 महीने में जल्दी चलना सीखते हैं तो वहीं कुछ बच्चे 13 महीने पर। ऐसे ही कुछ बच्चे जल्दी बोलना सीखते हैं तो कुछ देर में। कुछ बच्चों के दांत 9 महीने में आते हैं तो वहीं कुछ बच्चों के दांत 8 या 11 महीने में। ऐसे में बच्चा अभी बोलना नहीं शुरू किया, बच्चे के दांत नहीं आए,देर से चलना सीख रहा है, यह सब बातें चिंता का विषय नहीं होती। उपरोक्त प्रक्रियाएं बच्चे में सामान्य रूप से देखने को मिलती है, परंतु ऐसा ना होने पर चिकित्सीय सलाह लेना आवश्यक है।


12 मार्च तक के बच्चे की भाव भंगिमा


जन्म से 12 माह तक बच्चा अपने भाव को सिर्फ हंसकर और रो कर ही व्यक्त कर सकता है। बच्चे आपकी बातें सुनते हैं,आपके चेहरे के भाव को समझते हैं, इसी से धीरे-धीरे बच्चों में भाषा कौशल का विकास होता है। लेकिन जब तक बच्चे बोलना नहीं सीख जाते उनकी हंसी और रोना उनकी बातों को आप तक पहुंचाने का एकमात्र माध्यम होता है।


आप अगर ध्यान दीजिए तो देखेंगे कि बच्चों के हंसने और रोने की आवाज में भी अंतर दिखाई देता है। जब बच्चा भूखा होता है,किसी चीज या सपने से डरा होता है,अन्य बच्चे द्वारा कोई खिलौना ले लेने पर शिकायती रूप से रोता है,यह सब अलग-अलग स्वर में होता है। जिससे मां को यह बात स्पष्ट रूप से समझ आ जाती है कि बच्चे के रोने का क्या कारण है?


ठीक ऐसे ही बच्चे के हंसने की भाव भंगिमा भी अलग-अलग तरीके से उनकी प्रसन्नता व्यक्त करती है।जैसे बच्चे का मां को देखकर गंभीर सुकून भरी मुस्कान,खिलौना देखकर खुशी, घूमने जाने की खुशी आदि।


                  जन्म से 12 माह का समय बच्चों के शारीरिक,मानसिक, भावनात्मक विकास की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। ऐसे में मां को बच्चे की हर एक एक्टिविटी बहुत ही ध्यान से देखने और समझने की जरूरत है। बच्चों के सही ढंग से विकास के साथ ही साथ यह समय माता पिता का अपने बच्चों के साथ इंजॉय करने का भी सही समय है,क्योंकि इस पल में वह अपने बचपन को देखते हैं। इसलिए बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखें, इंजॉय करें और बच्चों में स्वास्थ्य संबंधी किसी भी प्रकार की समस्या देखने पर तुरंत ही डॉक्टर से परामर्श लें।



"मां और बच्चे दोनों का उत्तम स्वास्थ्य ही एक स्वस्थ परिवार और उज्जवल भविष्य की आश है।"


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इस लेख को पढ़ने और हमारा मनोबल बढ़ाने के लिए आप सभी को धन्यवाद । आप सभी इस लेख के बारे में अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें, साथ ही यह भी बताएं बच्चों से संबंधित वह कौन सा विषय है जिस पर हम अपने लेख में चर्चा करें और वह हम सभी के लिए लाभकारी हो।


-धन्यवाद 


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