बच्चों में अच्छी आदतों का विकास। कैसे और क्यों करें ?

बच्चों में अच्छी आदतों का विकास ,कैसे और क्यों करें ? प्रभाव, कैसे सिखाएं।

 


जितना जरूरी है बच्चों को अच्छी शिक्षा देना, उतना ही आवश्यक है बच्चों में अच्छी आदतों का विकास करना । 

स्कूली शिक्षा अच्छी नौकरी ,अच्छी जीवनशैली Lifestyle तो दे सकती है, लेकिन उनके सर्वांगीण विकास  एवं आकर्षक व्यक्तित्व का निर्माण अच्छी आदतों एवम् संस्कार से ही संभव है। 



बच्चे, बचपन और उनके मनोविज्ञान की इस श्रृंखला में आज हम चर्चा करेंगे कि बच्चों में अच्छी आदतों का, अच्छे संस्कारों का विकास कैसे किया जाए? जिससे उनमें एक आकर्षक व्यक्तित्व के गुण उभर के सामने आए।


एक व्यक्ति जो भी अपने बचपन में सीखता है वह उसके साथ जीवनपर्यंत रहता है। इसी कारण

एक वयस्क व्यक्ति द्वारा प्रदर्शित सीख, ज्ञान , आदतें , दृष्टिकोण, व्यवहार और स्वभाव उसको बचपन में  सिखाए संस्कार और परवरिश को बताता है। क्योंकि बच्चा बचपन से ही चीजें सीखना और उसे आत्मसात करने लगता है।


एक बच्चे में ही भविष्य का वैज्ञानिक, डॉक्टर, टीचर ,अभिनेता ,नेता , प्रेरक व्यक्तित्व, स्वामी विवेकानंद ,स्वामी दयानंद जैसे विराट व्यक्तित्व छिपे बैठे होते हैं जो भविष्य में प्रकट होते हैं।  जो बचपन में एक सामान्य से बालक लगते हैं वही बड़े होकर समाज के लिए एक मिसाल बन जाते हैं।




बच्चों पर सद्गुणों का किस प्रकार प्रभाव पड़ता है


बचपन की आदतों, संस्कारों एवं व्यवहारों का मनुष्य के जीवन पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।


एक छोटे से बीज में भविष्य का वृक्ष छुपा होता है, जैसे  ही उसे सही जलवायु मिल जाती है वह धीरे-धीरे बड़ा होने लगता है और एक विराट वटवृक्ष के रूप में निकल आता है । 

ठीक वैसे ही एक बच्चे में ही भविष्य का मनुष्य विकसित होता है । बचपन में व्यक्ति की जो भी आदतें होती हैं जैसा भी व्यवहार होता है । भविष्य में उसी प्रकार के व्यक्तित्व का निर्माण होता है।



जब हम अपने बच्चों में अच्छी आदतें ,अच्छे संस्कार , अच्छे व्यवहार, अभ्यास , आदतें , अच्छी बातों के बीज बोएंगे तथा स्वयं के द्वारा किये जाने वाले व्यवहार एवं आचरण से उनकी देखभाल करेंगे , तभी उस बच्चे में से एक आकर्षक व्यक्तित्व बाहर निकल कर आएगा ।


अगर बच्चे अच्छे संस्कार के माहौल में पले होते हैं तो वह व्यक्तित्व के धनी बन के उभरते हैं। उसी प्रकार बचपन में बुरी आदतें बुरे संस्कार के धनी बच्चों को देखकर भी उनके अंदर छिपे भविष्य के मनुष्य का आकलन सहज ही होने लगता है





कैसे सिखाएं बच्चों को गुड हैबिट्स-


एक कुम्हार गीली मिट्टी से देवी देवता की मूर्ति भी बना सकता है, खेल खिलौने भी बना सकता है, राक्षस या अन्य किसी भी प्रकार के जीव का रूप दे सकता है । लेकिन जब मिट्टी सूख जाती है तो उसे फिर कोई भी नया रूप देना संभव नहीं होता ।


छोटे बच्चे भी गीली मिट्टी के समान होता है बचपन में जो आदते, जो संस्कार, व्यवहार हम उनके नेचर में डाल देते हैं वही आने वाले भविष्य में उनके व्यक्तित्व के रूप में उभर के आती है। 




तो आइए जानते हैं बच्चों में गुड हैबिट्स अच्छे संस्कारों का विकास कैसे करें-

  1. घर परिवार के लोगों का आचरण अच्छा होना चाहिए क्योंकि इसका सीधा प्रभाव बच्चे के ऊपर पड़ता है
  2. जो हम अपने बच्चों को सिखाना चाहते हैं सबसे पहले उसे हम अपने बड़ों को स्वयं अपने आचरण में लाना चाहिए
  3. बच्चों को महानतम योगियों, दार्शनिकों वैज्ञानिकों, देशभक्तों, क्रांतिकारियों की आत्मकथाएं , जीवनियां, नैतिक कहानियां आदि बचपन से ही सुनानी चाहिए।
  4. बच्चों को बचपन से ही उनके धर्म ग्रंथों के प्रसंगों को सुनाना चाहिए।
  5. बच्चों को ईमानदारी और समय की पाबंदी के महत्व को सिखाना चाहिए।
  6. अभिभावक बने शासक नहीं।
  7. बच्चों के मित्र बनकर उन्हें जीवन दिशा देने में सहयोग करें।
  8. अभिभावक की एक आंख सुधार की तो दूसरी दुलार की होनी चाहिए जिससे बच्चों के अंदर भय और चोरी की भावना जन्म ना ले सके।
  9. बच्चों को करुणा, प्रेम, सेवा, समिति आदि मानवीय भाव से प्रेरित कहानियां सुनाएं।
  10. बच्चों के अंदर अच्छी आदतें , संस्कारों, सामाजिक व्यवहारों एवम् व्यक्तित्व के विकास के लिए उन्हें हमेशा सही-गलत के साथ साथ लाभ- हानि की बातें भी बताते रहें।


एक कुशल मूर्तिकार की तरह हम अपने बच्चों को मनचाहा रूप प्रदान कर सकते हैं लेकिन ऐसा हम बच्चों के शासक बनकर नहीं, बल्कि अभिभावक बनकर ही कर सकते हैं।

  बच्चों के मित्र बनकर ही उन्हें मनचाहा आकार दे सकते हैं। 




भारत के महानतम वैज्ञानिक व मिसाइल मैन के नाम से मशहूर भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने बचपन में अपने पिता से ईमानदारी व समय की पाबंदी के गुण थे उन्हीं गुणों ने उन्हें भविष्य में महान बनाया।



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इस लेख को पढ़ने और हमारा मनोबल बढ़ाने के लिए आप सभी को धन्यवाद । आप सभी इस लेख के बारे में अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें, साथ ही यह भी बताएं बच्चों से संबंधित वह कौन सा विषय है जिस पर हम अपने लेख में चर्चा करें और वह हम सभी के लिए लाभकारी हो।


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