जन्म से 6 माह तक के बच्चे की भाव भंगिमा,एक्टिविटीज कैसे समझें ?
बचपन , बच्चे और उनका मनोविज्ञान श्रृंखला में अगला लेख ..
हम लोगों ने अपने पिछले लेख में नवजात शिशु के जन्म के पश्चात उनकी देखभाल कैसे करें और उनका किस प्रकार ध्यान रखें, उनके स्वास्थ्य और पोषण की व्यवस्था कैसे करें ,टीकाकरण करवाना बच्चों के लिए क्यों जरूरी है और किस प्रकार उनको विभिन्न बीमारियों से बचायें आदि के बारे में जाना और समझा।
अब हम लोग,इस लेख में जन्म से 6 माह तक के बच्चों की भाव भंगिमा,उनके द्वारा क्या संकेत किए जा रहे हैं, उनके संकेत को हम कैसे समझें ,उनके संकेत किस प्रकार उनके विकास को प्रदर्शित कर रहे हैं, उनके संकेत मां से किस प्रकार वार्तालाप कर रहे हैं,इनके बारे में जानेंगे। जो कहीं ना कहीं हम लोग को अपने बच्चे का ध्यान रखने,उनके पालन में निश्चित ही मदद करेगा।नवजात शिशु में हर महीने हम अलग-अलग गतिविधियों को होते देख सकते हैं-
जन्म से 2 माह का बच्चा:-
प्रसव पीड़ा के पश्चात, एक माँ की स्थिति ऐसी हो जाती है जैसे मृत्यु के पश्चात पुनः जीवित होना। मातृत्व सुख प्राप्त होने के साथ ही नवजात शिशु की मां का शरीर काफी कमजोर हो चुका होता है। ऐसे में परिवार के सदस्यों का यह दायित्व बनता है कि वे नवजात शिशु की मां को मानसिक और शारीरिक दोनों तरफ से सपोर्ट करें,उनकी देखभाल करें।
नवजात शिशु बिल्कुल रूई के जैसे सुकोमल होता है। पहले का 2 महीना उसके उत्तम स्वास्थ्य,पोषण और वातावरण अनुकूल बनाने की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इस 2 महीने में हम देखते हैं कि बच्चा सोते-सोते अचानक जग के रोने लगता है,अपने आप में हल्की-हल्की स्माइल करता है,धीरे-धीरे अपने हाथ-पैर हिलाता है। फूल से नाजुक बच्चे की केयर बहुत सावधानी पूर्वक करना चाहिए।
2 माह से 4 माह का बच्चा:-
2 से 3 माह का बच्चा मां के चेहरे को पहचानने लगता है। बच्चा मां के स्पर्श, मां की गोद के एहसास को काफी अच्छे से पहचान लेता है। हम लोग यह देखे भी हैं कि जब कोई बच्चा रोता है, तो वह सबसे चुप भी नहीं होता लेकिन जैसे ही वह आपकी मां की गोद में पहुंचता है वह तुरंत ही शांत हो जाता है, खुश हो जाता है,क्योंकि उसमें एक निश्चित भाव आ जाता है कि वह मां की गोद में पहुंच चुका है।यह निश्चिंत भाव आता कहां से है? उस गोद के एहसास से जो इस तीन महीनों में उसने अनुभव किया है।
अब धीरे-धीरे बच्चे का हाथ-पैर भी पहले से ज्यादा ढीला हो रहा होता है। बच्चे के हाथ- पैर को सीधा करने के लिए मालिश बहुत आवश्यक है। मालिश करके उसकी उंगलियों को भी सीधा करना होता है क्योंकि हम देखते हैं कि नवजात शिशु की मुट्ठी बंद रहती है।
हम सब ने एक बहुत चर्चित गाना भी सुना है-
"नन्हे मुन्ने बच्चे तेरी मुट्ठी में क्या है
मुट्ठी में है तकदीर हमारी
हमने किस्मत को बस में किया है"
पहले दादी नानी यही कहा करती थी कि बच्चे बंद मुट्ठी में अपनी किस्मत लेकर आते हैं। उनकी अंगुलियों के विकास के लिए प्रॉपर एक्सरसाइज करनी चाहिए,जिससे बच्चे की अंगुलियां पूरी खुलने लगे हैं।अब बच्चे खिलौने को,कभी मां के बालों को पकड़कर खेलने में सक्षम हो जाते हैं। अब बच्चे आपकी उंगलियां भी थामेंगे, यह एक अलग ही आनंद है।
इस समय बच्चे में एक और विशेषता देखी जाती है कि जब आप बच्चे को पेट के बल लेटाइए तो बच्चा सिर को ऊपर की तरफ उठाता है।मां को बच्चे की इस एक्टिविटी पर ध्यान देना जरूरी है, अगर बच्चा ऐसा नहीं कर रहा है तो डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।
4 माह से 6 माह का बच्चा
धीरे-धीरे अब बच्चा शारीरिक रूप से सुदृढ़ हो रहा होता है।लेकिन अभी भी बच्चे को उतनी ही मजबूती और सावधानीपूर्वक गोद लेना चाहिए क्योंकि सीधा पकड़ने पर चार माह का बच्चा अपना सिर संभालने की कोशिश कर रहा होता है, इसलिए बच्चे के सिर के पीछे हाथ का सपोर्ट जरूर दें ताकि बच्चा अचानक से सिर में झटके से चोट ना खाएं।
इस समय बच्चे से 1 फुट की ऊंचाई पर रंग-बिरंगे खिलौने लटकाते है, ऐसे में बच्चा उसे देख कर उसे हाथ से पकड़ने का प्रयास करता है और खिलौने को देखकर जोर से खिल खिलाकर हंसता भी है।
अब हमारे बच्चे का शारीरिक और मानसिक दोनों विकास प्रगति पर होता है। बच्चा किसी विशेष आवाज की दिशा में या गतिशील वस्तुओं को देखते समय अपने सिर और आंख एक साथ घूमाता है।अगर बच्चा,सिर और आंख, समय पर एक साथ ना घुमा पा रहा हो तो यह चिंता का विषय हो सकता है।
अब आपका बच्चा आ आ इ इ ऊ ऊ जैसी आवाज निकालता है।अपनी भाषा में बच्चा आपके साथ बड़बड़ाहट के साथ अपनी बातें करता है। ऐसे में हमें भी बच्चे से प्रॉपर बोलते रहना चाहिए,उसकी आवाज की नकल करना चाहिए और जब बच्चा भी नकल करें तो उनकी प्रशंसा जरूर करें।
पांचवे महीने के बाद से बच्चे की नींद में भी स्थिरता आने लगती है।बच्चे के सोने और जागने के समय में भी कुछ बदलाव देखने को मिल सकता है। बच्चे को हल्के प्रकाश में सुलाने की आदत डालें, इससे बच्चा रात में अच्छी नींद लेता है,साथ ही बच्चे की रात में अच्छे से सोने की आदत भी पड़ जाती है।
6 माह के बच्चे का लालन-पालन किस प्रकार करें?
नवजात शिशु की दिन में कम से कम 3 बार कोमल हाथों से मालिश करें तथा उनके हाथ-पैरों की कसरत जरूर करवाएं।
प्रतिदिन कुछ समय के लिए शिशु को पेट के बल लेटाए।
अपनी मातृभाषा में शिशु से रोज बातें करें क्योंकि शिशु अब आपकी इमोशन से जुड़ रहा होता है और उसकी भाषा कौशल का भी विकास हो रहा होता है।
माता एवं पिता दोनों ही शिशु को रोज गले से कुछ समय अवश्य लगाएं, इससे शिशु को गर्माहट तो मिलती है साथ ही साथ आप से उसकी आत्मीयता भी बढ़ती है यह स्किन थेरेपी है।
शिशु के साथ बात करते समय उनकी आवाज की नकल करें ,साथ ही जब वह आपकी नकल करें तो उनकी प्रशंसा करें।
संभव हो तो बच्चों को घर के बाहर ले जाएं उन्हें खुले वातावरण में कुछ देर अवश्यक रखें।
बच्चों के लिए आकर्षक एवं सॉफ्ट टॉयज होने चाहिए।
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इस लेख को पढ़ने और हमारा मनोबल बढ़ाने के लिए आप सभी को धन्यवाद । आप सभी इस लेख के बारे में अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें, साथ ही यह भी बताएं बच्चों से संबंधित वह कौन सा विषय है जिस पर हम अपने लेख में चर्चा करें और वह हम सभी के लिए लाभकारी हो।
-धन्यवाद
नोट: बच्चे में किसी भी प्रकार की असामान्य गतिविधि दिखने पर चिकित्सीय परामर्श तुरंत आवश्यक है।
सन्दर्भ :-स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा जारी एम.सी.पी. कार्ड |
स्वस्थ बच्चा उज्जवल भविष्य।
1 टिप्पणियाँ
Bahut mahtvapurn jankari....
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