बच्चों को कैसे अच्छी नींद सुलाएं ?

बच्चों को कैसे अच्छी नींद सुलाएं ?

बचपन,बच्चे और उनका मनोविज्ञान श्रृंखला के अंतर्गत यह सभी लेख लिखे जा रहे हैं आज का लेख विशेषकर नवजात शिशु के पहनावा, बच्चों की नींद  और उनकी स्वच्छता से संबंधित है |

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    छोटे बच्चों की नींद से जुड़ी समस्याएं क्या है?

    छोटे बच्चे के सोने के बारे में कहावत है कि छोटे बच्चे जितना ज्यादा सोते हैं उनका शारीरिक और मानसिक विकास उतना ही अधिक होता है | लेकिन अब प्रश्न यह उठता है कि छोटे बच्चे को अच्छी और गहरी नींद लेने में किस प्रकार हम मदद कर सकते हैं ?

    हम सब जानते हैं कि मां की गोद बच्चों के लिए सबसे सुखद एहसास है और माँ का स्पर्श बच्चे में आत्मीयता और जुड़ाव के साथ ही बच्चे के अंदर एक निश्चितता का भाव भी उत्पन्न करता है | इसलिए बच्चे को मां की गोद में ही सुलाना चाहिए , उसके बाद उसे उसके बिस्तर पर लेटाना चाहिए , बिस्तर पर लेटाते समय यह ध्यान देना जरूरी है कि बच्चे के बगल में दोनों साइड हल्की तकिया या चद्दर ऐसे रखें जो बच्चे के टच में रहे ,और बच्चे को इससे दिक्कत भी ना हो | इससे बच्चे को यह निश्चिंता रहती है कि वह अपनी मां के संपर्क में है |


    बच्चों की समय से नींद की आदत डालने के लिए क्या करें ?

    नींद के लिए एक विशेष बात और ध्यान देने की जरूरत है कि बच्चे को तेज प्रकाश में सुलाने के स्थान पर कम प्रकाश में सुलाया इससे बच्चों को अच्छी नींद भी आती है | अब बच्चे में एक अच्छी आदत डिवेलप होने लगती है कि जब आप उसे कम प्रकाश में लाती हैं बच्चा जल्दी सोने की मुद्रा में आ जाता है |

          बच्चे के सोते समय याद भी ध्यान रखें कि किसी प्रकार का शोरगुल ना हो , नहीं तो बच्चे अचानक से शोर की आवाज से डर के जग जाते हैं और बहुत रोते हैं बच्चे जितनी गहरी और अच्छी नहीं लेंगे उतना ही होगा डिप्लोमेट अच्छा होगा बच्चे उतने ही अधिक बुद्धिमान और स्वस्थ बनेंगे |


          शिशु को सुलाने के लिए मां को चाहिए कि वह बच्चे को एक विशेष लोरी हर रोज सुनाए | इससे भी शिशु में एक प्रकार का मेडिटेशन होता है जिससे बच्चे लोरी सुनते ही जल्द ही सोने की मुद्रा में आ जाते हैं |

    नवजात शिशु का पहनावा कैसा हो ?



    छोटे बच्चों का शरीर बहुत ही नाजुक होता है | इसलिए उनका पहनावा इस प्रकार होना चाहिए जो उनकी त्वचा को किसी प्रकार का नुकसान न पहुंचा सके | इस दृष्टि से सबसे अच्छा होता है शिशु को कॉटन कपड़े पहनाना | शिशु को सिंथेटिक कपड़े बिल्कुल भी नहीं पहनाने चाहिए, नहीं तो बच्चों की स्किन पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है | नए कपड़ों को धोने के बाद ही इस्तेमाल करें जिससे उसमें लगा हुआ केमिकल निकल जाए, साथ ही शिशु को बहुत टाइट कपड़े पहनाने से बचें, क्योंकि बच्चे का शरीर लगातार विकसित होता रहता है । सामान्यता छोटे बच्चों को फैंसी कपड़ों के स्थान पर इजी ड्रेस ही पहनाना चाहिए | ये कपडे बच्चों के  लिए आरामदायक और सुविधाजनक होते हैं | कपड़ों का चयन करते समय कॉटन के कपड़ों को प्राथमिकता देनी चाहिए | गर्मी के मौसम में उन्हें सिर्फ कॉटन की ही कपड़े पहनाये तथा सर्दी के मौसम में उन्हें ऊनी कपड़ों के अंदर भी पहले कॉटन का कपड़ा ही पहनायें | रुई से जैसे नाजुक बच्चों के लिए कॉटन सबसे बेस्ट फैब्रिक है|


    शिशु के लिए स्वच्छता कैसी हो?

    नवजात शिशु में प्रतिरोधक क्षमता के निर्माण की प्रक्रिया का विकास धीरे धीरे शुरू हो रहा होता है | इस समय बच्चे कीटाणुओं के प्रति अति संवेदनशील होते हैं | शिशु के उत्तम स्वास्थ्य के लिए स्वच्छता सबसे महत्वपूर्ण कार्य है|

    क्या करें -

    • शिशु के कपड़े को नियमित धोएं तथा शिशु के कपड़े को अन्य लोगों के कपड़ों से अलग रखें |
    • शिशु के डायपर है 2 से 3 घंटे पर बदले चुकी नवजात शिशु हर घंटे पर सुसु , पॉटी करता है , तो बार-बार डायपर चेक करना तथा साफ सफाई करना जरूरी है |
    • शिशु को स्तनपान कराने से पहले साफ सफाई जरूरी है|
    • अगर शिशु को बोतल से दूध पिला रही है तो बोतल को अच्छे से धो के 15 मिनट गर्म पानी में उबालें |
    • कोरोना काल में संक्रमण से बचाने के लिए घर के बाहर से आने वाले प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह घर के सदस्य क्यों ना हो शिशु से उचित दूरी बनाकर रखें |
    • शिशु जिस कमरे में हो उस कमरे की साफ-सफाई पर ध्यान दें|
    • तेज धूप ,धूल और धुवें से  शिशु को बचाएं |
    • शिशु को दूध पिलाने के पश्चात उनके गले तथा कान के पीछे लगे दूध की बूंदों को अच्छे से साफ करें |

    कभी-कभी शिशु के गले या कांख के नीचे गंदगी जैसी दिखती है उसे साफ करने पर स्किन फटी फटी से दिखती है और कभी-कभी ब्लड भी आ जाता है | उस  स्थिति में डॉक्टर की परामर्श से पाउडर या दवाई का तुरंत उपयोग करें |

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