Navratri 2022 date, कब है ?
Navratri 2022,नवरात्रि का वैज्ञानिक महत्व, Shambhav,Shambhavi Pandey
नवरात्रि, यानि शक्ति की उपासना।
शक्ति, जो जड़-चेतन, जीवन-मृत्यु, ज्ञान-अज्ञान, अर्थ, बल हर रूप में विद्यमान है। जिसकी साधना कर हम खुद को समृद्ध बनाने का प्रयास करते हैं।
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| नवरात्र, यानि शक्ति की उपासना। |
तो आइए जानते हैं नवरात्र के विभिन्न रूपों और उसके प्रसंगों के बारे में।
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चैत्र नवरात्रि 2022 कब है ?
चैत्र नवरात्रि का त्योहार इस वर्ष 2 अप्रैल 2022 दिन शनिवार से शुरू होगा ।
नवरात्रि का धार्मिक महत्व एवं कलश स्थापना क्यों की जाती है ?
हम पूजा-ध्यान क्यों करते हैं ?
विभिन्न प्रकार के अनुष्ठान क्यों करते हैं ?
शक्ति की पूजा, उसकी स्थापना क्यों करते हैं ?
नवरात में हर घरों में कलश की स्थापना क्यों की जाती है ?
कहते हैं अगर हम अपने बगल में किसी शक्तिशाली व्यक्ति को बैठा ले तो सामने वाला भी पास आने से पहले कम से कम एक बार जरूर सोचता है।
ठीक उसी प्रकार जब शक्ति की आराधना करते हैं,शक्ति का आवाहन,उसका ध्यान करते हैं तो शक्ति के प्रतीक के रूप में कलश की स्थापना करते हैं |
और जब हमारे पास शक्ति का स्रोत स्थापित होता है तो कहीं ना कहीं वह हमारे भीतर की शक्ति को जागृत भी करता है |
एवं हमारे आत्मविश्वास को भी बढ़ाता है। और यही कारण है कि इस समय किसी भी प्रकार की रोग-व्याधा हमारे पास नहीं आती है।
नवरात्र कब मनाया जाता है ?
वर्ष में दो प्रमुख नवरात्र पड़ते हैं।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार पहला नवरात्र चैत्र मास में, दूसरा नवरात्र ठीक 6 मास बाद अश्विन मास में मनाया जाता है।
चैत्र मास में यह पूजा विशेष रूप से दिन में एवम अश्विन मास में रात्रि में बड़े उत्साह और उल्लास के साथ मनाई जाती है।
सिद्धि और साधना की दृष्टि से शारदीय नवरात्र का अपना विशेष महत्व है।
चैत मास यानि मार्च-अप्रैल का समय,जब शरद ऋतु एवं ग्रीष्म ऋतु का संधिकाल होता है।
अश्विन मास यानि सितंबर-अक्टूबर का समय,जब वर्षा ऋतु एवं शरद ऋतु का संधिकाल होता है।
नवरात्रि का वैज्ञानिक महत्व क्या है ?
जब भी नवरात्र आता है तो हमारा मन पूजा-पाठ, आरती, ध्यान,व्रत,सात्विक भोजन पर केंद्रित हो जाता है।
नवरात्र के पीछे की पौराणिक कथा से हम सब तो पूर्व परिचित हैं लेकिन
आज हम जानेंगे नवरात्र के पीछे के वैज्ञानिक महत्व के बारे में।
नवरात्र के वैज्ञानिक महत्व की बात करें तो दोनों नवरात्र ऋतु संधिकाल अर्थात दो ऋतुओं के बीच के समय मनाया जाता है। यह समय मौसम परिवर्तन का होता है और इस समय रोगाणु आक्रमण की सर्वाधिक संभावना होती है, जिसे हम बायोलॉजिकल भाषा में वायरल इन्फेक्शन कहते हैं।
ऐसे में स्वस्थ रहने, शरीर एवं अपने चारों तरफ की शुद्धि के लिए नवरात्र व्रत, उपासना,सात्विक विचार हमारे शारीरिक एवं मानसिक सेहत के लिए विशेष लाभकारी माना गया है।
इसके साथ ही साथ मंदिरों में घंटो और शंखों की आवाज से जो ध्वनि तरंगे निकलती हैं वह बहुत दूर-दूर तक वातावरण में सूक्ष्म कीटाणुओं को नष्ट कर रोगाणु मुक्त वातावरण डिवलप करती हैं।
तो इस प्रकार नवरात्र धार्मिक एवं वैज्ञानिक दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
तन-मन की शुद्धि,निर्मलता एवं आंतरिक शक्तियों के जागरण का मात्र एक आधार है-नवरात्र व्रत, पूजा, उपासना ।

1 टिप्पणियाँ
आप द्वारा दी गई जानकारी उपयोगी है।।मातृ शक्ति उपासकों हेतु प्रेरणास्पद है।।जय मां
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