क्या करें अगर ढाई साल का बच्चा बोल नहीं पा रहा तो?

 क्या करें अगर ढाई साल का बच्चा बोल नहीं पा रहा तो



    एक बच्चे के जन्म से ही पूरे परिवार में खुशी की लहर दौड़ जाती है और इसमें चार चांद तब लग जाता है जब बच्चा पहली बार कुछ बोलता है।बच्चे की तोतली बोली भी आनंददायक लगती है। तो ऐसे में हर किसी को इंतजार होता है अपने बच्चे की बोल सुनने का।

             साधारणतः 2 माह से 3 माह का बच्चा कुछ-कुछ आवाज निकालता है। 1 वर्ष पूरा करते-करते बच्चा मम्मा, बा बा, पा पा, आ जा, जैसे शब्दों को बोलने लगता है। 18 माह पूरा होते-होते बच्चे इन शब्दों को साफ-साफ बोलने लगते हैं। 2 साल की उम्र तक कई शब्द बोलने लगते हैं। 


    लेकिन अगर कोई बच्चा ढाई साल की उम्र तक 2 वाक्य नहीं बोल पा रहा तथा 3 साल की उम्र तक चीजों को उनके नाम से नहीं बुलाता तो यह पेरेंट्स की चिंता का विषय होता है। तो आज हम यहां बच्चे,बचपन और मनोविज्ञान की इस श्रृंखला में बच्चों के देर से बोलने के कारण तथा उनके उपाय पर चर्चा करेंगे।


    लेकिन यहां मैं एक बात स्पष्ट रूप से या कहना चाहूंगी कि प्रत्येक बच्चे की सीखने और समझने की विकास दर अलग-अलग होती है कुछ बच्चे जल्दी समझने बोलने लगते हैं तो वहीं कुछ बच्चे साधारण से थोड़ा अधिक समय लेते हैं |


    कभी-कभी हमें ऐसा देखने को मिलता है कि एक ही उम्र के 2 बच्चों में से एक बच्चा जो ढाई साल का है वह छोटे-छोटे शब्दों या वाक्य जैसे आ जाओ, खाना दो, मम दो, घूमने चलो आदि अच्छे से बोल रहा है | तो वही दूसरा बच्चा जो ढाई साल का ही है पर वह मा मा,पा पा जैसे शब्दों को ही अभी तक बोल पा रहा है। ऐसे में अगर बच्चे में नीचे दिए जा रहे हैं लक्षण दिखाई देते हैं तो निश्चित रहे यह कोई चिंता का विषय नहीं बल्कि बच्चा थोड़ी देर में बोलना शुरू करेगा।


    बच्चे के देर से बोलने पर अगर यह लक्षण दिखे तो निश्चिंत रहें-

    • बच्चे का नाम लेने पर प्रतिक्रिया देना।

    • आपके द्वारा गोद में आने की बात सुनकर (बिना इशारे) खुश होना और दौड़ कराकर गोद में उठाने की प्रतिक्रिया देना।

    • आपके दिए गए निर्देशों को समझना जैसे रुको, ना करो, खाओ, पियो, चलो, समान उठाओ, इधर बैठो आदि।

    • किसी बात पर आप की नकल करना जैसे-प्यार करना, खुश होना,शांत होना, गले लगना।

    • आपके द्वारा कुछ बोलने पर उसकी प्रतिक्रिया देना।

    • भावनात्मक प्रतिक्रिया देना।

    • आपके चेहरे के भावों को समझना उसी के अनुरूप कार्य करना।

    • उन चीजों की ओर इशारा करना जिसका आप नाम लीजिए।

    • अपने उपयोग की छोटी-छोटी चीजों जैसे- दूध की बोतल, खिलौना, कपड़ा, कंघी आदि के नाम से पहचाना और ले आना।

    • सबसे महत्वपूर्ण बात ध्यान देना कि क्या बच्चा यह समझ पाने में समर्थ है कि उसके आसपास क्या हो रहा है।


    बच्चे के देर से बोलने के कुछ कारण


    साधारणतःबच्चे का जल्दी या देर से बोलना एक नॉर्मल प्रक्रिया है,पर कभी-कभी मेडिकल टर्म के किन्ही कारणों से भी ऐसा हो सकता है। ऐसे में अगर 3 साल की उम्र तक का बच्चा अधिकतर शब्दों को अच्छे से नहीं बोल पा रहा है या पुराने शब्दों को बार-बार भूल जा रहा है, चीजों को उनके नाम से नहीं पहचान पा रहा तो यह स्पीच डिले का लक्षण है, इसके कुछ कारण निम्नवत हैं-

    • बच्चे की सुनने की क्षमता का कम होना।

    • बच्चे की जीभ का तालू से जुड़ा होना,इससे भी साफ बोलने में दिक्कत आती है।

    • मुँह,जीभ या तालु मे किसी दिक्कत के कारण।

    • बोलने के लिए जरूरी मांसपेशियों को प्रभावित करने वाली नसों से संबंधित समस्याएं।

    • स्पीच एंड लैंग्वेज डिसऑर्डर।

    • बच्चे का एकाकीपन।

    • पेरेंट्स द्वारा बोलने के प्रति कम प्रोत्साहित करना।

    • माता-पिता या अन्य सदस्यों के अस्पष्ट उच्चारण भी बच्चों की भाषा विकास को प्रभावित करता है।


    नोट: असाधारण परिस्थिति में बच्चे के देर से बोलने के  

           सही कारणों का पता लगाने के लिए आप बच्चे  

           को कान-गला विशेषज्ञ चिकित्सक के पास जरूर 

           ले जाएं।


    क्या करें अगर ढाई साल का बच्चा बोल नहीं पा रहा है तो


    • बच्चों को बोलने के लिए प्रोत्साहित करते रहें।

    • छोटे-छोटे शब्द बार-बार दोहराएं।

    • बच्चों के साथ आमने-सामने बैठकर बातें करें।

    • बच्चों को अपने लिप्स मूवमेंट दिखाने और उसे समझाने की कोशिश करें।

    • बच्चे को खेल-खेल में बोलना सिखाए और बच्चे को उन शब्दों को दोहराने के लिए प्रोत्साहित करें।

    • शब्दों का उच्चारण धीमी गति में तथा साफ-साफ करें।

    • बच्चों के साथ खेलते-खेलते भी बच्चे दूसरे बोलने वाले बच्चे की नकल करते हुए बोलने लगते हैं।

    • चीजों को इशारे से नहीं अपितु उनके नाम से ही पुकारें।

    • परिस्थिति के आधार पर शब्द बोले जैसे- गिनने की परिस्थिति में 'गिर', बदमाशी करने पर 'पिट्टी',अच्छा काम करने पर 'गुड',किसी काम को करने या ना करने के लिए 'नो या यस'।

    • मोबाइल पर बच्चों की वीडियो दिखाना भी मददगार हो सकता है।

    • बच्चों की प्रतिक्रिया तथा उसके समझने के चेहरे के भावों पर विशेष ध्यान दें।

    • सबसे महत्वपूर्ण बच्चे के साथ धैर्य से कोशिश करते रहें।


    मैं पुनःअपनी बात कहना चाहूंगी कि हर बच्चे की विकास गति अलग-अलग होती है ।


    इसलिए धैर्य के साथ बच्चे की प्रतिक्रियाओं और एक्टिविटीज पर नजर रखें,बच्चों से लगातार बोलते रहें, उन्हें प्रोत्साहित करते रहे। जैसे ही आपका बच्चा 36 माह पूरा कर लेगा वह निश्चित ही अचानक से बोलना शुरू कर देगा ।


         लेकिन किसी भी प्रकार की असामान्य गतिविधि या बच्चों की उचित प्रतिक्रिया ना मिलने पर विलंब ना करें, तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें और चिकित्सीय इलाज शुरू करें।


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    इस लेख को पढ़ने और हमारा मनोबल बढ़ाने के लिए आप सभी को धन्यवाद । आप सभी इस लेख के बारे में अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें, साथ ही यह भी बताएं बच्चों से संबंधित वह कौन सा विषय है जिस पर हम अपने लेख में चर्चा करें और वह हम सभी के लिए लाभकारी हो।


    -धन्यवाद 




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