बच्चों को यह बातें जरूर सिखाएं ,स्कूल भेजने से पहले | school bhejne se pahle Bacchon ko yah baten Jarur sikhayen in hindi
बच्चों की औपचारिक शिक्षा से पहले अनौपचारिक शिक्षा अवश्यक है, जिसके लिए बच्चों को कुछ बातों को समझाना जरूरी है जैसे कि उनका व्यवहार कैसा होना चाहिए? बच्चे अपनी बातों को व्यक्त कैसे करें? गुड मैनर्स क्या है और क्यों जरूरी है आदि ।
इसलिए आज हम बचपन,बच्चे और उनके मनोविज्ञान की श्रृंखला में चर्चा करने जा रहे हैं कि प्रीस्कूल से पहले 3वर्ष के बच्चों को क्या-क्या सीखा सकते हैं?
इसके लिए बच्चों में कुछ डेवलपमेंट के जरिए हम यह बात समझने की कोशिश करेंगे कि बच्चों को बच्चों में किन-किन आदतों का विकास करना जरूरी है?
छोटे बच्चे के विकास में कुछ महत्वपूर्ण बिंदु ,इस पर ध्यान देने की है जरूरत -
क्योंकि बच्चा पहली बार स्कूल जाएगा ,वहां पर नए दोस्त बनेगें ,बच्चे का समाज से जुड़ा होगा तो इस समय बच्चों को कुछ बिंदुओं पर जानकारी देना ,उन्हें सचेत करना आवश्यक है |
इसे हम पांच भागों में समझेंगे-
सामाजिकता का विकास
आत्मनिर्भरता का विकास
भाषा का विकास
लेखन की प्रतिभा का विकास
सुरक्षात्मक भाव का विकास
1 -सामाजिकता का विकास :
गुड मैनर्स में प्लीज ,सॉरी, एसक्यूज़, थैंक यू जैसे शब्दों का प्रयोग करना |

आंखों में आंखें डाल कर बात करने की आदत विकसित करना|
छींक या खांसी आने पर रुमाल का और हाथ की हथेली के स्थान पर कोनी के बीच में मुंह लगाकर छींकना या खाँसना |
शेयर करने की भावना का विकास करना |
धक्का देना खींचना मारना पीटना जैसी आदि की आदतों पर रोक लगाना |
अपना नाम बताना |
घर से बाहर कहीं जाने पर कैसे व्यवहार करें |
कैसे किसी चीज की आवश्यकता पर उसे मांगें यह सिखाना आवश्यक है |
बड़ों का आदर करना सिखाए |
घर पर आए अतिथि का अभिनंदन करना |
बच्चे में सामाजिकता के विकास के लिए जरूरी है कि पेरेंट्स उनके साथ स्वयं भी गुड मैनर्स का प्रयोग करें। जिसे देखकर बच्चे गुड मैनर्स को अपनी हैबिट में शामिल करेंगे।
बच्चों में शेयरिंग की भावना का विकास करना बहुत ही जरूरी होता है नहीं तो बच्चे मेरा सामान, मेरा खिलौना इन बातों में बहुत परेशान हो जाते हैं।
लेकिन इसके लिए बच्चों से जबरदस्ती नहीं करें अपितु उन्हें शेयरिंग का अर्थ समझाएं और थोड़ा सा समय दें।
सबसे महत्वपूर्ण ध्यान देने की बात यह है कि बच्चा आई कांटेक्ट बना रहा है या नहीं? बात करते समय बच्चे आंखों में आंखें डाल कर बात कर रहे हैं या इधर-उधर देखकर।
इसके लिए लगातार बच्चों को प्रेरित करते रहें कि वह आपसे आंख में आंख मिलाकर बातें करें।
2- आत्मनिर्भरता का विकास:
बच्चों की जीवन शैली को बेहतरीन बनाने के लिए उन्हें उनकी दिनचर्या में इंडिपेंडेंट बनाना आवश्यक है।
खुद से ब्रश करना |
खुद से भोजन करना |
खुद से खिलौने खेलने के बाद सब समेट कर रखना |
खुद से कपड़े उतारने और पहनने की कोशिश करना |
कम से कम पैंट उतारना-चढ़ाना बच्चों को जरूर सिखाना चाहिए,जैसे जब बच्चा आपका स्कूल जाए तो उसे टॉयलेट जाने पर किसी की मदद की मदद की जरूरत ना पड़े।
साथ ही साथ बच्चे को उनकी दैनिक क्रियाओं के लिए जागरूक करना जरूरी है कि जब भी उन्हें टॉयलेट है तो वो वॉशरूम में जाकर ही करें।
इसके लिए आवश्यक है कि आप बच्चों को उनकी दैनिक क्रियाओं से जुड़ी हुई बातों को उन्हें समझाएं। उन्हें सिखाती रहे और बार-बार उन्हें प्रेरित करते रहें।
स्वयं से अपने कार्य को करने की इसके लिए आप को बच्चों के साथ लगकर उन्हें हेल्प करनी होगी।
सामान खेलने के बाद सामान को बटोरने के लिए क्लीनअप के लिए उनके साथ लगकर उन्हें सिखाएं कि सामान कैसे समेटा जाता है और इसके लिए बच्चों पर कभी फोर्स ना करें धीरे-धीरे बच्ची से आदत में शामिल कर लेते हैं।
3- भाषा का विकास:
प्री स्कूल भेजने से पहले बच्चों को छोटे-छोटे वाक्यों में अपनी बातें बोलना तथा अन्य व्यक्ति से अपनी बातें कहना जरूरी जरूर सिखाएं, जिससे बच्चे की जरूरत को समझा जा सके।
बच्चे को पेंसिल या कलर सही ढंग से पकड़ना और हो सके तो रेखा खींचना या कोई आकृति बनाना भी सिखाना चाहिए।
3 वर्ष तक के बच्चों को सीधी किताब पकड़ना तथा उसके पन्नों को उलटना आना चाहिए।
चीजों को उनके नाम से पहचाना जरूरी है |
अपना नाम बताना चाहिए |
फैमिली मेंबर्स को पहचानना चाहिए |
कुछ वेजिटेबल्स पहचानना चाहिए |
जानवर और पक्षी के नाम जानना चाहिए |
आवाज की सही दिशा का बोध होना चाहिए |
बेसिक रंग आकार और आकृति से परिचित होना चाहिए |
दिनचर्या के बारे में जानकारी होना चाहिए जैसे कि टॉयलेट आने के आभास पर वॉशरूम जाना |
कम से कम 1-5 नंबर की जानकारी |
4- लेखन की प्रतिभा का विकास:
2:30 से 3 वर्ष तक के बच्चों को साइक्लोन के कलर देना चाहिए, जिससे बच्चे लाइन खींचना या कोई आकृति बनाना या ड्राइंग में कलर भरना सीखें।
पेंसिल पकड़ने से पहले बच्चे साइक्लोन जैसे कलर पकड़ना अच्छे से सीख लेते हैं, तो पेंसिल पकड़कर पर लिखने में समस्या कम आती है।
बच्चों को किसी आकृति के अंदर कलर भरने में उनकी हेल्प करें उन्हें कलर के माध्यम से बेसिक रंगों की जानकारी कराएं, आकृति पहचानवाएं जिससे बच्चे आकृति के अंदर कलर भरने से बॉर्डर के डिफरेंस को समझ सकते हैं।
5- सुरक्षात्मक भाव का विकास:
बच्चों को सुरक्षा के प्रति संवेदनशील बनाएं
बच्चों को अपने और अजनबीयों में अंतर समझाएं
अजनबीयो से बात नहीं करना है यह सिखाएं
बाहर घूमने जाने पर या मार्केट जाने पर पेरेंट्स के साथ साथ चलना सिखाए
बैड टच, गुड टच के बारे में जानकारी देना शुरू करें
स्वयं से जुड़ी साफ सफाई के प्रति प्रेरित करें जिससे वे स्वस्थ रहें
कैची चाकू बिजली के तार आदि खतरनाक चीजों से दूर रहने के लिए समझाएं कि किस प्रकार यह चीजें उन्हें नुकसान पहुंचा सकती हैं
छोटे बच्चे चलते चलते अक्सर गिरते रहते हैं इसलिए उन्हें बार-बार संभल कर चलने के बाद याद दिलाते रहे
छोटे बच्चे नई नई चीजों को जल्दी सीखने की क्षमता रखते हैं लेकिन उनमें चंचलता भी बहुत होती है।
वह गलतियों को बार-बार दोहराते हैं ,कभी जान के,कभी अनजाने में।
इसलिए बच्चों के साथ बहुत धैर्य से रहें और बच्चों को हर बातों को समझाएं, उसके फायदे और नुकसान के बारे में बताएं और थोड़ा सा समय दे।
आपका बच्चा बहुत जल्द आपकी बातों को सीख लेगा और आप के अनुरूप व्यवहार करेगा।
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इस लेख को पढ़ने और हमारा मनोबल बढ़ाने के लिए आप सभी को धन्यवाद । आप सभी इस लेख के बारे में अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें, साथ ही यह भी बताएं बच्चों से संबंधित वह कौन सा विषय है जिस पर हम अपने लेख में चर्चा करें और वह हम सभी के लिए लाभकारी हो।
-धन्यवाद

1 टिप्पणियाँ
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